आपके विचारफीचर

देवभूमि का लोकपर्व फूलदेई

देहरी पूजन करके बच्चे करते हैं खुशहाली सुख समृद्धि की कामना

भुवन बिष्ट ,रानीखेत ,उत्तराखंड

रानीखेत । देवभूमि उत्तराखंड सदैव अपनी परंपरा,सभ्यता व संस्कृति के लिए विश्व विख्यात है। प्राकृतिक सौदर्य की धनी उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को संजोने सवांरने में सदैव ही जन जन की सहभागिता रहती है। देवभूमि उत्तराखंड के हर त्यौहार लोकपर्व देवभूमि वासियों के प्रकृति प्रेम को दर्शाते हैं। प्रकृति प्रेम, ऋतु परिवर्तन,व नव संवत्सर नव वर्ष के अभिनंदन में मनाया जाता है लोकपर्व फूलदेई।

देवभूमि उत्तराखंड के गाँवों में चैत्र मास में लोकपर्व फूलदेई का त्यौहार मनाया जाता है। देवभूमि उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष बुराँश इस समय खिलकर वनों की शोभा बढ़ाता हुआ आकर्षण का केन्द्र बना रहता है वहीं दूसरी ओर पीताबंरी ओढ़े धरती,फूलों से लदगद वृक्ष लताऐं खेत खलिहान सभी को अपनी सुंदरता से अपनी ओर आकर्षित करती है।

वनों के बढ़ते दोहन से आज राजकीय वृक्ष बुरांश का अस्तित्व भी संकट में है। इस समय बसंत की बहार लिये हुए विभिन्न वृक्षों पर फूल खिले रहते हैं और धरती पीतांबर ओढ़े रहती है। बसंत ऋतु में देखा जाय तो यह समय हर प्राणी के मन में एक नई ऊर्जा के संचार का होता है। खेत खलिहानों की सुंदर शोभा बढ़ाये हुए हरे हरे गेहूँ के पौधों की लहलहाती फसल और पीली पीली पीताबंर ओढ़े सरसों नव ऋतु नव संवत्सर के अभिनंदन को मानो तैयार खड़े हैं।

सर्दियों की विदाई और वनों में वृक्षों पर नई नई कोंपलें आनी शुरू हो जाती हैं।इस समय चारों ओर फलदार वृक्ष फूलों से भर जाते हैं। देवभूमि उत्तराखंड में चारों ओर पहाडो़ के जंगलों में बुराँश तथा गाँवों में आडू, खुमानी,पुलम,मेहल,सेब,पदम आदि के पेड़ों पर रंग बिरंगीं फूलों से बसंत के इस मौसम को मनमोहक, आकर्षक बना देते है।

देवभूमि उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई पर देश, राज्य समाज गाँव घरों में सदैव खुशहाली, समृद्धि, उमंग बनी रहे इसी कामना से बच्चे फूलदेई पर घरों की देहरी को फूलों से पूजते हैं। फूलदेई प्रकृति से जुड़ा पर्व है। इसे सामाजिक, सांस्कृतिक और लोक परंपरा से जुड़ा त्योहार भी माना जाता है।फूलदेई पर बच्चों द्वारा “फूलदेई क्षमा दे ,सासु ब्वारी भर भकार” आदि गीत कहकर घरों की देहरी पूजन किया जाता है। देवभूमि में भकार पूर्व में अन्न का भंडारण ,भंडार के रूप में जाना जाता था।

अन्न की जितनी अधिक उपज होती थी भकार उतना ही अधिक भरा रहता था,और इससे संपन्नता का भी अंदाजा लगाया जाता था। इसलिए सदैव भकार के भरे रहने की कामना की जाती थी और आज भी भर भकार के रूप अन्न का भंडार सदैव भरा रहे इसकी कामना इस पर्व पर बच्चे देहरी पूजन में करते हैं। बच्चों को इस अवसर पर चावल, गुड़ भेंट किया जाता है।बच्चे बड़ो का आशीर्वाद लेकर मंदिरों एंव गाँव घरों में फूल लेकर देहरी पूजन करते हैं।

हमारी संस्कृति, सभ्यता व परंपराओं को संजोये गांवो में चैत्र मास में ही झोड़ा गायन का भी आयोजन किया जाता है। इन अवसरों पर बच्चों को चावल, गुड़ व अन्य उपहारों का भी वितरण किया जाता है, जिससे आपसी प्रेम भाव, एकता, सौहार्दता को बढ़ावा तो मिलता ही है, साथ ही साथ हमारी परंपरओं को जीवित रखने का कार्य भी किया जाता है ।

झोड़ा गायन में पारंपरिक वाद्य यंत्रों का भी उपयोग किया जाता है, लेकिन आज सबसे अधिक चिंतनीय प्रश्न यह है कि बढ़ते पलायन से अनेक गाँवों में वीरान बाखलियां हमें पलायन की पीड़ा व अछूता विकास का एहसास करा रही हैं। आधुनिकता और पाश्चातय संस्कृति का प्रभाव भी आज अवश्य ही परंपराओं को संरक्षित करने में बाधक हैं। किन्तु वास्तव में गांवों से ही परंपराऐ जीवित हैं।

चैत मास में ही गांवों में घरों , रसोईघरों की सफाई एंव पुताई का कार्य भी किया जाता है जो उनके पर्यावरण एंव स्वच्छता प्रेम को भी प्रदर्शित करता है। चैत्र मास में नवरात्रों का भी आयोजन होता है , और गांवों में स्थित गोलू मंदिर , कालिका मंदिर, हरज्यू मंदिर, देवी मंदिरों में स्वच्छता के साथ साथ पूजा पाठ -भोग आदि का आयोजन भी किया जाता है तथा देवी देवताओं से सफलता , सम्पन्नता , खुशहाली के लिए भी कामना की जाती है।

महिलाओं द्वारा झोड़ा गायन भी मंदिरों में किया जाता है। इस अवसर पर देवी देवताओं से खुशहाली की कामना की जाती है। गाँवों ने परंपराओं को संरक्षित करने का जो कार्य किया है, आज इनके संरक्षण के लिए गांवों के अस्तित्व एंव सम्मान को संजोये रखना भी एक चुनौती एंव आवश्यक है। तभी गांव परंपरओं को संजोये रखेगें जब स्वंय सुरक्षित होंगे, पहाड़ पर लगातार बढ़ रहे पलायन को भी रोकना अत्यंत आवश्यक है जिससे गांव विरान न हों और देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति, सभ्यता ,परंपरा को संरक्षित किया जा सके।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

भुवन बिष्ट

लेखक एवं कवि

Address »
रानीखेत (उत्तराखंड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights