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लोस के पहले चरण के बाद होंगे नगर निकायों के चुनाव

नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम के तहत अभी तक सभी निकायों में अधिकतम 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट में कई निकायों में आरक्षण 14 से नीचे चला गया, तो कई निकायों में 14 से काफी ऊपर।

देहरादून। प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों का चुनाव लोकसभा चुनाव के पहले चरण के बाद ही होगा। हाईकोर्ट के आदेश के तहत सरकार को दो जून तक सभी निकायों में नया बोर्ड बनवाना है, जिसके लिए लोकसभा चुनाव के दौरान ही चुनाव कराना होगा।

वहीं, निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन का विधेयक लाने की तैयारी में है। प्रदेश में 97 नगर निकायों के चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे, जिनका पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल एक दिसंबर को खत्म हो गया था। दो दिसंबर से सभी निकाय प्रशासकों के हवाले हो गए थे।

दो जून से पहले ही सरकार को चुनाव संपन्न कराने हैं, लेकिन जल्द ही देशभर में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। ऐसे में इस चुनाव के दौरान निकाय चुनाव कराने में तकनीकी दिक्कत हो सकती है। इस दिक्कत से निपटने के लिए सरकार, चुनाव आयोग से विशेष अनुमति ले सकती है। ताकि, पहले चरण में उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव होने के बाद निकाय चुनाव की आचार संहिता भी लागू की जा सके। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में निकाय चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है, जिसके बाद मई में चुनाव होंगे।

नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम के तहत अभी तक सभी निकायों में अधिकतम 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की रिपोर्ट में कई निकायों में आरक्षण 14 से नीचे चला गया, तो कई निकायों में 14 से काफी ऊपर। लिहाजा, इस आरक्षण को लागू करने के लिए नगर निगम और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन की दरकार है। इसके लिए अब सरकार विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। विधेयक आने के बाद इसी आधार पर आरक्षण देते हुए चुनाव कराया जाएगा।


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