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मौत के 2 साल बाद हुआ पोस्टमार्टम

कोर्ट ने आईपीसी की धारा 304 का मुकदमा दर्ज किया...

पुलिस ने जो जांच अपने स्तर से की थी, उसका कोई भी फायदा नहीं हुआ और न ही कोई कामयाबी हाथ लगी। कोर्ट के ऑडर भी थे और पुलिस भी कश्मकश में थी।

दिल्ली। अपराध की दुनिया में नये-नये मामले देखने को मिलते हैं। इसी तरह राजधानी दिल्ली से एक मामला सामने आया है, जो हैरान करने वाला है। सोचने के लिए भी तथ्य छोड़कर जाता है कि आखिर ये ऐसा कैसा मामला है। मामले की ओर बढ़ें तो दिल्ली पुलिस ने लगभग दो साल बाद एक लाश का पोस्टमार्टम करवाया है। दूसरी चौंकाने वाली बात यह है कि कोर्ट ने आईपीसी की धारा 304 का मुकदमा दर्ज किया।

दंगों के दौरान 27 फरवरी 2020 को 45 साल का एक व्यक्ति अचेत अवस्था में मिला था। यह दंगे दिल्ली के खजूरी खास इलाके में हुये थे। जब उस व्यक्ति को ऐसी अवस्था में देखा गया तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया। भर्ती होने के बाद डॉक्टरों की रिपोर्ट ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की शिनाख्त के लिए उसका कोई भी परिजन न पुलिस के पास आया और न ही अस्पताल में पहुंचा।

पुलिस की जांच चलती रही और अंततः पुलिस के हाथ खाली। क्योंकि पुलिस ने जो जांच अपने स्तर से की थी, उसका कोई भी फायदा नहीं हुआ और न ही कोई कामयाबी हाथ लगी। कोर्ट के ऑडर भी थे और पुलिस भी कश्मकश में थी। बहरहाल, करीब 2 साल बाद 11 मार्च 2022 को लाश का पोस्टमार्टम किया गया। बड़ी मुश्किलों के बाद और जद्दोजहद करने के बाद पुलिस को सफलता मिली।

मृतक की पहचान हुयी, जो कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के चांद बाग का रहने वाला था और उसका नाम सिकंदर था। जिसके बाद पुलिस ने मृतक की लाश परिवार को सौंप दी और 2 साल बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आया कि सांस रुक जाने की वजह से उसकी मौत हुई थी। पुलिस की कुल जांच के अुनसार दंगों से इसका कोई संबंध नहीं पाया गया है।

बहरहाल, सोचने वाली बात है कि कानूनी व्यवस्थायें लचर हैं या जनता ही लचर अवस्था में जीवन-यापन कर रही है। क्योंकि मरने के 2 साल के बाद पोस्टमार्टम, 2 साल तक परिवार वालों को कोई सुध नहीं और 2 साल बाद धारा 304 का मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। क्योंकि मृतक का केस दिल्ली के खजूरी खास इलाके में हुये दंगों से जुड़ा हुआ था। जानिये धारा 304 क्या है…?


धारा 304: हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड

जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु होना सम्भाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

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