श्राद्ध श्रद्धासुमन और श्रीमद्भागवतगीता
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डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
ईश्वर ने सृष्टि चक्र में विभिन्नताओं को स्थान दिया है और श्रीमद्भागवतगीता में कहा भी गया है कि परिवर्तन ही संसार का नियम है, इसीलिए ईश्वर ने विभिन्न तीज-त्यौहारों और कर्मो को मानव जीवन में स्थान दिया है। इन्हीं में से एक श्राद्ध हमें जीवन में मृत्यु का सच याद दिलाता है कि मृत्यु ही जीवन का अटल सत्य है। मोहमाया की अंधी दौड़ और आपाधापी में हम इस सत्य का साक्षात्कार ही नहीं कर पाते। क्यों न हम अपने पुण्य कर्मों से श्रद्धासुमन अर्पित करें एवं औरों को भी प्रेरित करें।
हम जीवित अवस्था में इसके श्रवण और मनन से अपने जीवन में आनंद के अभूतपूर्व क्षण खोंजे।
हम इसकी-उसकी, तेरे-मेरे को छोड़ वृहद सोच के साथ मोक्षदायी श्रीकृष्ण के स्मरण और मनन में अपनी अमूल्य ऊर्जा और मानवयोनि के कीमती क्षणो को खर्च करें। श्राद्ध में श्रीमद्भागवतगीता का श्रवण और मनन अति हितकारी बताया गया है। क्यों न हम कुछ समय ही निकालकर श्रीकृष्ण की मुखवाणी को समझने का प्रयत्न करें, जिसने भूत-प्रेत और घोर पापियों को भी मोक्ष का मार्ग दिखाया। श्रीमद्भगवतगीता इतनी प्रभावी है कि वह मृत्यु के पश्चात भी आत्मा का भटकाव समाप्त कर सकती है तो क्यों न हम जीवित अवस्था में इसके श्रवण और मनन से अपने जीवन में आनंद के अभूतपूर्व क्षण खोंजे।
धार्मिक मान्यता के अनुसार हमें श्राद्ध के दिनों में श्रीमद्भागवतगीता का पठन-पाठन करना चाहिए। ईश्वर ने जब हमें मनुष्ययोनि दी तब उन्होने इसकी मुक्ति का मार्ग खोजने के लिए बुद्धि और विवेक भी दिया, जिसमें मोहमाया के झूठे आडंबर से स्वयं को विरक्त करके आत्मिक शांति को खोजने का प्रयत्न करना है। श्रीमद्भागवतगीता मोक्ष का अद्वितीय मार्ग है। यह पितृ को आत्मिक शांति दिलाने में पूर्णतः सक्षम है, इससे अनेकों पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण की स्तुति को प्रभावी बताया गया है। श्रीमद्भागवतगीता स्वयं श्रीकृष्ण के वचनों का आविर्भाव है। पितृ को मोक्ष दिलाने का अचूक साधन श्रीमद्भागवतगीता कथा का श्रवण और पाठन है। यदि हम जीवन में पितृ दोष से मुक्त होना चाहते है तो हमें इस सर्वोत्तम उपाय श्रीमद्भागवतगीता का श्राद्ध के दिनों में वाचन करना चाहिए और इस प्रकार हम अपने श्रद्धासुमन उनकी मुक्ति के लिए अर्पित कर सकते है।
प्रेषक: रवि मालपानी, सहायक लेखा अधिकारी, रक्षा मंत्रालय (वित्त)