फीचर

हारे का सहारा

हारे का सहारा, प्रभु जब अपने भक्तों का हाथ थाम लेते हैं तो फिर उसका कभी भी साथ नहीं छोडते हैं। ठोकरें खाकर भी जब हम न गिरे तो समझना चाहिए कि प्रभु ने हमें थाम रखा हैं। जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…

परमात्मा की पूजा अर्चना करने से मन में अपार शांति मिलती हैं। चूंकि परमात्मा के स्मरण मात्र से ही मन में करुणा, दया, ममता व वात्सल्य का भाव जागृत हो जाता हैं। वैसे भी ईश्वर हारे का सहारा है वे किसी को भी दुखी व परेशान नहीं देख सकते। इसलिए हमें ईश्वर की भक्ति से कभी भी जी नहीं चुराना चाहिए। याद रखिए भक्ति में ही शक्ति हैं।

सुख और दुख तो हमारे जीवन के साथी है जो कभी भी एक साथ नहीं रहते है इसलिए इनका आना जाना तो लगा ही रहता हैं। इसलिए दुख की घडी में तनिक भी न घबराये। अपितु हर परिस्थिति में एक समान बने रहे। भक्ति के लिए एकाग्रता, संयम, धैर्य, सहनशीलता व समर्पण का भाव होना नितांत आवश्यक हैं। अन्यथा भक्ति भक्ति नहीं रहती हैं। जो अपने आपको प्रभु के चरणों में अर्पित कर देता है वहीं सच्चा भक्त है। फिर उसे भक्ति के सिवाय कुछ भी नजर नहीं आता हैं।

प्रभु जब अपने भक्तों का हाथ थाम लेते हैं तो फिर उसका कभी भी साथ नहीं छोडते हैं। ठोकरें खाकर भी जब हम न गिरे तो समझना चाहिए कि प्रभु ने हमें थाम रखा हैं। यही वजह है कि भक्ति मे पाखंड व लोक दिखावा नही चलता हैं। भक्ति में तो केवल समर्पण का भाव ही होना चाहिए। भक्ति करे तो ऐसी करे कि उसे देखकर ईश्वर भी अत्यधिक प्रसन्न हो जाये और हमें अपने गले लगा लें।

प्रभु ने अपने भक्तों को संयम, धैर्य, सहनशीलता, परोपकार जैसे गुण दिये है। यही वजह है कि आज हम इस नश्वर संसार में यह पद प्रतिष्ठा, स्थान और अपना अस्तित्व बनाये हुए है वरना अंहकार, क्रोध, घमंड हमें कभी का नष्ट कर देते। हम आज जो कुछ भी हैं वह प्रभु की कृपा से ही हैं। प्रभु तो ज्ञान के सागर हैं। अतःवे कभी भी किसी का अहित नहीं करते हैं।

अधेड़ को डेढ़ किलोमीटर घसीटता ले गया स्कूटी चालक, देखें वीडियो


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

हारे का सहारा, प्रभु जब अपने भक्तों का हाथ थाम लेते हैं तो फिर उसका कभी भी साथ नहीं छोडते हैं। ठोकरें खाकर भी जब हम न गिरे तो समझना चाहिए कि प्रभु ने हमें थाम रखा हैं। जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से...

बड़हिया का बाला त्रिपुर सुन्दरी मंदिर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights