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अणुविभा आदर्श संस्कारों की अनूठी पाठशाला

अणुविभा आदर्श संस्कारों की अनूठी पाठशाला… पार्को में हिरण, ऊंटो के बीच में झूले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वही चिड़िया व कबूतरों के लिए दाना पानी की भी व्यवस्था की गई है। हरे भरे लगे हुए वृक्ष देख कर लगता है कि धरती मां की यही पुकार, करो पेड़ों से मेरा श्रृंगार।  #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर

राजसमंद झील के किनारे बसा अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी ( अणुविभा ) आदर्श संस्कारों की एक अनोखी व अनूठी पाठशाला है। जहां आदर्श संस्कारों की शिक्षा के साथ ही साथ योग पर भी विशेष जोर दिया जाता है। यहां अणुव्रत गीत, अणुव्रत चुनाव शुध्द अभियान, नयी पीढी में रचनात्मक व सकारात्मकता को प्रोत्साहित करने का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है जो वंदनीय और सराहनीय है। अणुविभा विभा ध्दारा पर्यावरण जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। यही वजह है कि आणुविभा परिसर क्षेत्र में हरियाली ही हरियाली है व पार्क भी हरे भरे वृक्षों से भरे पडे है।

पार्को में हिरण, ऊंटो के बीच में झूले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वही चिड़िया व कबूतरों के लिए दाना पानी की भी व्यवस्था की गई है। हरे भरे लगे हुए वृक्ष देख कर लगता है कि धरती मां की यही पुकार, करो पेड़ों से मेरा श्रृंगार। यहां स्थापित महावीर महात्मा महाप्रज्ञ हिंसा दीर्घा भी देखने लायक है। चूंकि इसकी दीवार पर मांडने मंडे हुए हैं जो एक अनोखी और अनूठी भारतीय कला को दर्शाती है। इसके पीछे राजसमन्द झील है और दूसरी तरफ पुस्तक दीर्घा है जहां कांच की अलमारी में प्रेमचंद की 13 बाल कहानियां, कायल का सितार, गीत गूंजते अक्षर अक्षर, अकाल को बुलावा, हमारे जल पक्षी, काव्या का फैसला जैसी पुस्तकें पाठकों को लुभा रही है, वही दूसरी ओर इसी दीवार के एक ओर अणुव्रत विधार्थी के नियम मय चित्रों के दर्शाया गया है जो एक अद्भुत नजारा है।

अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी, मुख्यालय चिल्ड्रन पीस पैलेस, राजसमंद कार्यालय के सामने की दीवार पर संसद भवन, नटराज, मां सरस्वती, राजस्थान, पंजाब, उतर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, असम, की कला और संस्कृति को बडी ही सुन्दर कला के माध्यम से दर्शाया गया है जो देखते ही बनता है। अणुविभा कार्यालय के मुख्य मार्ग पर ही महादेव लाल सरावगी पुरस्कार का स्मृति प्रतीक बना हुआ है।‌ अणुव्रत विश्व भारती राजसमन्द की स्थापना 30 दिसम्बर 1982 को हुई।

विभिन्न दीर्घाओ के अलावा यहां तुलसी साधना शिखर भी है जिसकी सहयोगी संस्थाएं प्रेक्षा वाहिनी, तेरापंथ सभा, भिक्षु बोधि स्थल, महावीर इंटरनेशनल, अणु समिति, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ प्राफेशनल फारम, महावीर मंच, तेरापंथ युवक परिषद, सहित अन्य संस्थाएं हैं। परिसर क्षेत्र में ही दीवार पर आचार्य भारमल जी का जीवन परिचय अंकित है। इसी के सामने स्मृति स्थल पर आचार्य श्री धर्म संघ परिवार का विवरण अंकित है। तुलसी साधना शिखर में रात्रि भोजन वर्जित है।

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दर्शनीय स्थल : तुलसी अणुव्रत दर्शन, अहिंसा दीर्घा, बालसमंद, गुडियाघर, संग्रहालय, बाल पुस्तकालय, भाव जागरण गुफा, झिलमिल मीनार, नन्दन वन।


अणुविभा आदर्श संस्कारों की अनूठी पाठशाला... पार्को में हिरण, ऊंटो के बीच में झूले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वही चिड़िया व कबूतरों के लिए दाना पानी की भी व्यवस्था की गई है। हरे भरे लगे हुए वृक्ष देख कर लगता है कि धरती मां की यही पुकार, करो पेड़ों से मेरा श्रृंगार।  #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर

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