प्रेरक विचार
प्रेरक विचार… न केवल आपके मुख पर अपितु आपकी अनुपस्थिति में भी हर कोई आपके श्रेष्ठ कार्य की सराहना ही करेगा। चूंकि कार्य ही पूजा है इस ध्येय के साथ हमें अपना कार्य पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ करना चाहिए। हम भले ही महापुरुष न बन सकें तो भी कोई बात नहीं है. #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
हमें अपने दैनिक जीवन की शुरुआत हर रोज प्रेरक विचारों के साथ आरम्भ करनी चाहिए ताकि जीवन में हर रोज नयी ऊर्जा और जोश का संचार हो सकें। इसी के साथ हमारी सोच भी सकारात्मक होनी चाहिए। चूंकि प्रेम ही ईश्वर है और प्रेम ही पूजा हैं जो प्रेम का दुश्मन है वह दुनियां का दुश्मन है। इसलिए हमें प्रेम और स्नेह के साथ रहना चाहिए और जहां प्रेम है, वहीं अपनापन हैं। जो व्यक्ति केवल अपने गुणों का ही बखान दिन – रात करता है वास्तव में वह सबसे बड़ा मूर्ख हैं।
हमारे महापुरुषों ने समय – समय पर प्रेरक विचार व्यक्त किए हैं। अगर हम उनका अपने जीवन में अनुसरण करें और उनको जीवन में आत्मसात करें तो हमारा जीवन आदर्श संस्कारों से ओत-प्रोत हो जायेगा। वहीं दूसरी ओर हमारी अज्ञानता का नाश हो जायेगा व हम अज्ञानी से ज्ञानी बन जायेगें। व्यक्ति को अपने जीवन में कभी भी अपने गुणों का बखान स्वयं नहीं करना चाहिए।अगर आपका कार्य श्रेष्ठ है तो हर कोई आपके कार्य की मुक्तकंठ से सराहना करेगा।
न केवल आपके मुख पर अपितु आपकी अनुपस्थिति में भी हर कोई आपके श्रेष्ठ कार्य की सराहना ही करेगा। चूंकि कार्य ही पूजा है इस ध्येय के साथ हमें अपना कार्य पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ करना चाहिए। हम भले ही महापुरुष न बन सकें तो भी कोई बात नहीं है लेकिन उनके जैसे कार्य करके लोगों का भला तो कर ही सकते हैं। अतः जीवन में प्रेरक विचारों का सम्मान करते हुए उन्हें आत्मसात कीजिए और उन विचारों पर चल कर जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनायें। आपका सर्वश्रेष्ठ जीवन ही आपकी सर्वश्रेष्ठ पूंजी हैं जिसे संभाल कर रखना आपका काम हैं।
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