सेवा का भाव
सेवा का भाव… अस्पताल से घर लौटने पर सभी ने मधु के पास दिन भर बैठकर उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखा और अपने अपने काम से छुट्टी ले ली। इधर मधु की भाभी विनोद जी ने मधु को अपने पास रखकर उसकी दिन रात सेवा कर उसे चलने फिरने योग्य बनाया जिसकी वजह से मधु स्वस्थ हो पायी। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
सवेरे के करीब पौने छ: बजे होगे कि अचानक सुनील की पत्नी मधु को चक्कर आ गये और वह बाथरूम के बाहर गिर गई और उसके सिर में चोट लगी। मधु के गिरने के साथ ही उसके मुख से इतनी जोर की चीख निकली कि सुनील और पडोस में रहने वाला दाधीच परिवार भी जाग गया और दौडा चला आया। इधर सुनील ने अपने मकान मालिक मेघराज जी और मधु की बहन टाटा और भाभी विनोद जी को फोन कर मधु के गिर जाने की सूचना दी।
फोन सुनते ही मकान मालिक मेघराज जी व उनकी पत्नी दौडे चले आये और इधर रक्षा, परीक्षणा भी आ गये और मधु को तत्काल अस्पताल ले गए और उपचार कराया। खबर मिलते ही टाटा जी, गरिमा, राधेश जी, नितिन व मूर्तिका भी अस्पताल पहुंच गये। मधु के सिर में पांच टांके आए और प्राथमिक उपचार के बाद मधु को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
अस्पताल से घर लौटने पर सभी ने मधु के पास दिन भर बैठकर उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखा और अपने अपने काम से छुट्टी ले ली। इधर मधु की भाभी विनोद जी ने मधु को अपने पास रखकर उसकी दिन रात सेवा कर उसे चलने फिरने योग्य बनाया जिसकी वजह से मधु स्वस्थ हो पायी। इस बीच डाक्टर आरूषि ने मधु की अपने हाथों से पट्टी की और टांके खोले जिससे मधु का विश्वास बढ गया कि वह अब पूरी तरह ठीक हो गई है। इधर सुनील के चेहरे उडा टेंशन का रंग फिर से लौट आया.
कहते है कि जब कोई निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं तो समय कब पंख लगाकर उड़ जाता है पता ही नहीं चलता हैं। सुनील के दिमाग में एक ही बात बार बार घुमती है कि इन सेवाभावी लोगों का अहसान वह कैसा चुका पायेगा।