यादों की अहमियत
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सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
पुरानी चीजों के साथ इंसान की बहुत सी यादें जुड़ी हुई होती है यही वजह है कि वह बहुत सी पुरानी चीजों को सम्भाल कर रखता है, लेकिन वर्तमान पीढ़ी उसे कूड़ा-करकट कह कर फैंक रहीं हैं। पुरानी यादों की भी अपनी अहमियत होती हैं। जब हम एकांत में बैठकर इन्हें याद करते हैं तो कभी कभी बड़ी ही हंसी आती है तो कभी उन्हें देख कर आंखें नम हो जाती है।
कोई भी चीज बेकार की नहीं होती हैं, चूंकि उन चीजों से हमारी यादें जुड़ी हुई होती है। सुनील को ही लीजिए। उसके पास संकलन में अनेक मित्रों, राजनेताओं, राजपरिवार के सदस्यों के पत्र, सुनील के पत्र पत्रिकाओं में लिखे लेखों की कटिंगें, नेताओं व महापुरुषों के चित्र थे। जिन्हें देखकर सुनील एकांत में अपना समय आसानी से व्यतीत कर लेता था।
इनके संकलन का एकमात्र उद्देश्य था कि इन पत्रों में अनेक वाक्य ऐसे थे जो काफी प्रेरणादायक थे । वहीं दूसरी ओर उनमें अनेक नये नये शब्दों के भंडार थे, वहीं सुंदर राइटिंग देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता था। वे पत्र सुख दुःख के दिन याद दिलाते थे। यहीं वजह है कि वे पत्र कोई साधारण पत्र नहीं थे और जीवन के अभिन्न अंग बन गये थे।
आज यह अनोखा व अनूठा संकलन दीमक लग जाने से नष्ट हो गया। इसके नष्ट होने से सुनील को जो पीड़ा हुई उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। चूंकि वे उसके जीवन की अमूल्य धरोहर बन गये थे। इसलिए पुरानी यादों को संजोकर रखिए। इस अमूल्य धरोहर की कीमत का अहसास तभी होता है जब उसे संजोए रखने वाला इस दुनियां से चला जाता हैं ।
पुरानी यादों के सहारे हम अपना खाली समय आसानी से व्यतीत कर सकते हैं। समय के साथ उनकी कीमत भी बढ़ जाती है। चूंकि पुरानी यादों की अहमियत वे लोग ही समझ पाते हैं जिनके दिल में ओल्ड इज गोल्ड की भावना जुडी हो। अतः पुरानी वस्तुओं को यादगार पलों में संजोए व उसका भरपूर आनंद लीजिए। हर व्यक्ति की अलग-अलग रुचि होती हैं जैसे संगीत, गायन, सिलाई कढ़ाई, पेंटिंग, पत्र पत्रिकाओं का संकलन, चित्रकारी , फोटोग्राफी, तरह-तरह के गेम्स आदि आदि। अधिक व्यस्तता के कारण या शादी के बाद ये शौक मात्र यादें बनकर रह जाती हैं जिन्हें संजोए रखना अति आवश्यक है।
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Nice article