
बंजारा महेश राठौर ‘सोनू’
गांव: राजपुर छाजपुर गढ़ी, जिला: मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
कुछ इस तरह मेरी आंखों के सारे ख्वाब उड़ गए,
मैंने उन्हें परियों की रानी कहा — और वो उड़ गए।
मेरे प्रेम की कली न खिली, बगीचे ही उजड़ गए,
एक बार फिर बरसात की ऋतु के पीछे हम पड़ गए।
ग़ालिब की मिसालें देकर वो मुझसे लड़ गए,
बस इतनी-सी बात पर हमारे रिश्ते ही बिगड़ गए।
फिर ग़म और रंज ने बहुत जल्दी मुझे घेर लिया,
कुछ इस तरह मेरी आंखों का सारा नूर छिन गया।
दोनों के रास्ते अलग हुए, दो राहों में मुड़ गए,
बस बिछड़ना ही लिखा था — और हम बिछड़ गए।
कागज़ पर लिखे थे जो राठौर के कुछ मीठे बोल,
अब वो भी बिगड़ गए — जैसे टूट गया हर एक मोल।
मैंने उन्हें परियों की रानी कहा — और वो उड़ गए,
कुछ इस तरह मेरी आंखों के सारे ख्वाब उड़ गए।
🌺 विशेष बातें:
- पुनरावृत्ति का सुंदर प्रयोग: “मैंने उन्हें परियों की रानी कहा — और वो उड़ गए” जैसी पंक्ति से कविता में गहराई और लय आती है।
- संवेदनशील चित्रण: प्रेम की मासूम कल्पना, और फिर उसका टूटना, सरल भाषा में बहुत प्रभावी ढंग से आया है।
- मंचीय क्षमता: यह कविता किसी कविता पाठ मंच या सोशल मीडिया वीडियो में पाठ या संगीत के साथ प्रस्तुत करने पर श्रोताओं को भावुक कर सकती है।