साहित्य लहर

सुरों की मलिका

प्रेम बजाज

स्वर लोक की देवी आज सुरलोक को चली गई,
हां आज एक स्वर साम्राज्ञी हमें छोड़ कर चली गई।

स्वर साम्राज्ञी, सहराब्दी की आवाज़ थी, भारत- कोकिला, पूरे राष्ट्र की आवाज़ थी।
28 सितम्बर 1929 को पंडित दीनानाथ के घर इंदौर में वो जन्मी थी,
पांच साल की उम्र से ही पिता से संगीत की शिक्षा लेने चली थी।

36 भाषाओं में 30000 गाने तक गाए थे, 6-7 दशक तक संगीत के सुर सजाए थे।
नहीं था लगाव अभिनय से मगर फिर भी कुछ अभिनय के जलवे भी तो दिखाए थे।

नहीं घर- परिवार बनाया अपना मगर सभी के परिवार का हिस्सा वो बनती,
ऐसा अद्भुत प्यार वो दिल में रखा करती थी।
भारत सरकार पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म फेयर,
महाराष्ट्र और बंगाल फिल्म और अनेकों पुरस्कार जीते थे।

सुरों की देवी के नाम पर भी पुरस्कार चर्चित किया बहुत गया।
संघर्ष बहुत किया ज़िंदगी में, 13 साल ही उम्र में ही पिता का साया सर से चला गया।
छोटी सी उम्र में ही आशा, उषा, हृदय नाथ का सरताज बना दिया।

जन्म नाम था हेमा संगीत की दुनिया ने लता बना दिया,
कोरोना ने किया आघात अब निमोनिया का भी मरीज़ बना दिया।

लड़ रही थी वो जिंदगी और मौत से, हार गई जिंदगी आखिर मौत जीत गई,
सुरों की मलिका छोड़ इस जहां को सुरलोक को चली गई।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

प्रेम बजाज

लेखिका एवं कवयित्री

Address »
जगाधरी, यमुनानगर (हरियाणा)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights