साहित्य लहर
युद्ध : ज्वालामुखी से दहकते शहर
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ज्वालामुखी से दहकते शहर
कराते हैं प्रलय का आभास
सभ्यता, संस्कृति, धरोहर सब कुछ तहस – नहस
युद्ध !
सब ध्वस्त …
बसे-बसाए सदियों पुराने
गांव-शहर, गली -मोहल्ले क्षणभर में खंडहर
ये हृदयविदारक दृश्य
एक सभ्य – शांतिप्रिय सभ्यता के लिए
बहुत असहनीय होते हैं ।
युद्ध !
मानवीय सभ्यता के लिए कलंक…
विनाश के मंजर को धरा हमेशा से ही देखती आ रही है
आदमी स्वार्थी बनकर रौंदता रहा है
हमेशा इंसानियत को –
युद्ध !
किसी समस्या का हल नहीं ?
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मुकेश कुमार ऋषि वर्मालेखक एवं कविAddress »ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) | मो : 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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