जीवन वर्षा

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डॉ एम डी सिंह

चली हवा पछुआ पुरवाई
फिर मौसम ने ली अंगड़ाई
उठ धरती दूब से कह रही

बिहस निगोड़ी क्यों अलसाई
दिखे पत्ता पत्ता उपवन हर्षा

जल नहीं यह तो जीवन वर्षा
अहा सुबह यह अनहोनी थी

सपने को भी सच होनी थी
पंकज ढूंढ रहे दिवाकर को

किरणों की ऊषा खोनी थी
नाचा मोर बाद बहु अरसा

जल नहीं यह तो जीवन वर्षा
अरे जाग अब तक तू सोया

भटक रहा सपनों में खोया
निरख कोपलें फूट पड़ी हैं

कब का नीरद ने मुंह धोया
टर्र-टर्र सुन जिसको तू तरसा

जल नहीं यह तो जीवन वर्षा
दरवाजों बाहर जाने दो

खिड़की तुम बूंदें आने दो
बुला रहा है मुझको मधुबन

बन भंवरा अब खो जाने दो
मन ढोल रहा पीपल पर्ण सा

जन नहीं यह तो जीवन वर्षा


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

डॉ. एम.डी. सिंह

लेखक एवं कवि

Address »
महाराज गंज, गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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