साहित्य लहर

साहित्य चिंतन : बाल काव्य सृजन की चुनौतियां

साहित्य चिंतन : बाल काव्य सृजन की चुनौतियां… बच्चे समाज से आत्मीयता और अपनत्व चाहते हैं। उनका मन अत्यंत कोमल होता है। इस बात को श्रेष्ठ बाल कविताएं अपनी भाव भाषा और भंगिमा में खासतौर पर उजागर करती हैं। नींद में सोये बच्चे सुंदर सपनों की गोद में पलते हैं और सुबह इनके सामने एक सुंदर रंग-बिरंगा संसार रोज दस्तक देता है।  #राजीव कुमार झा

हमारे देश में बच्चों के लिए सबसे पहले संसार में पुस्तक लिखी गयी। इसे पंचतंत्र के रूप में हम जानते हैं। भक्ति काल में सूरदास ने कृष्ण की बाल लीलाओं का अपने काव्य में सुंदर चित्रण किया है। बाल प्रेम के भाव के अंतर्गत काव्य शास्त्रियों ने वात्सल्य रस की विवेचना की है। बाल-साहित्य बच्चों के अलावा हरेक उम्र के लोगों के मनोभावों का परिष्कार करता है। साहित्य मनुष्य के संस्कारों में आत्मिक अनुभूतियों का समावेश करता है। बाल साहित्य लेखन की प्रासंगिकता के बारे में भी इस बात को स्वीकार किया जाना चाहिए। इस तरह बाल-साहित्य लेखन एक काफी जरूरी काम है।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सुभद्रा कुमारी चौहान ने अत्यंत सरल भाषा शैली में झांसी की रानी शीर्षक कविता को लिखकर देश के नौनिहालों के हृदय में देशप्रेम और जीवनोत्सर्ग के भावों का संचार किया। इसी प्रकार सोहनलाल द्विवेदी की कविताएं बच्चों को जीवन निर्माण की प्रेरणा प्रदान करती हैं। साहित्य से बहुत छोटी उम्र में ही बच्चों का सहज परिचय हो जाता है। नानी की लोरियां और मां के गीत गानों को सुनकर बड़े होते बच्चे जीवन की अनगिनत बातों से कविता कहानी पढ़ते – सुनते अवगत होते हैं और इनमें उनकी अपनी प्यारी धरती और इसकी प्रकृति और चतुर्दिक फैले परिवेश के बारे में भी बच्चों को बाल साहित्य अवगत कराता है।

बाल कविताओं में बच्चों के मानस पटल के अनुरूप बादल, गेंद, कोयल, किताब, मम्मी-पापा और भाई-बहन के साथ दादी और दादा जी की सान्निध्यता में प्रकृति, परिवेश,घर परिवार के जीवन संसार से जुड़ी उनकी तमाम प्रिय चीजों के माध्यम से कविता में एक बेहद आत्मीय संसार को प्रस्तुत किया जाता है। बच्चों के लिए रचित कविताएं ज्ञानवर्धक और सुरुचिपूर्ण हों और इनमें बच्चों को नयी चेतना प्रदान करने के अलावा समाज संस्कृति का ज्ञान भी कई रूपों में समाया हो , इस तथ्य को ध्यान में रखकर बच्चों के लिए कविता लेखन किया जाना चाहिए।

आशा है बाल साहित्य लेखन में नैतिक चेतना से जुड़ी बातों की चर्चा को उजागर करने वाली कविताओं को भी प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए । संसार की विविध चीजों के बारे में बच्चों की जिज्ञासा को लेकर इन कविताओं में एक रोचक मनोरंजक सरस संसार को रचने की चेष्टा बाल कविता लेखन को नया आयाम प्रदान करेगी । यह उल्लेखनीय है कि इसमें बच्चों की सदैव जीवंत मौजूदगी कायम रहनी चाहिए। यह काफी सुखद होगा। बच्चों से नारी का रिश्ता सबसे पहले मां के रूप में होता है और नारी को इस रूप में वात्सल्य, प्रेम और ममता की प्रतिमूर्ति कहा जाता है।

यह सच है कि बच्चों को नारी जितना जानती समझती है, उतना उन्हें शायद और कोई नहीं जानता है। इसलिए बच्चों के लिए नारियों के द्वारा रचित कविताओं को सबसे सुंदर बाल-साहित्य कहा जा सकता है। लेकिन बच्चों को संबोधित तमाम कविताएं महत्वपूर्ण कही जा सकती हैं। बच्चों का जैसे सबसे प्रेम है वैसे ही बच्चों से भी सबका प्रेम है। बाल कविताओं में इसकी सुंदर झलक समाई हो और फूलों पर मंडराती तितलियों के अलावा वसंत ऋतु के मनोहारी परिवेश में कोयल की सुनाई देने वाली कूक और इसी प्रकार की ढेर सारी बातें बाल कविताओं में जीवनधर्मिता के गुणों का समावेश करती हैं। आशा है आप सबको इसके बीच दादा – दादी के साथ बच्चों का आत्मीय वार्तालाप को सुनना भी पसंद आएगा।

बाल कविताओं को बच्चों के जीवनहार के रूप में देखा जाना चाहिए । पर्व त्योहार के बारे में लिखी गयी कविताएं भी बच्चों को खूब अच्छी लगती हैं। बच्चों के मनप्राण के अनुरूप विविध विषयों बिम्बों और रूपकों के माध्यम से जीवन और जगत के अर्थों का निरूपण बाल साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता है। हमारी तरह ही बच्चों के जीवन संसार में भी आकाश, जल और थल में रचे बसे जीवन संसार की जानी – अनजानी असंख्य बातें अक्सर कविता में विषयवस्तु का रूप ग्रहण करती दिखाई देती हैं। यहां बच्चों का मन निरंतर कई तरह की जिज्ञासा और कौतूहल के भावों से परिपूर्ण दिखाई देता है। बाल कविताओं में बालमन और हृदय के इस स्पंदन को प्रकट करने की चेष्टा समाहित होना चाहिए।

सितारों से सजा रात का आसमान, आकाश से बारिश की फुहार, धरती पर फैली हरियाली, जंगल और इनमें रंग-बिरंगी चिड़ियों और अन्य प्राणियों के जीवन संसार के प्रति बच्चों के मन में स्वाभाविक रूप से एक नैसर्गिक प्रेम का भाव विद्यमान रहता है। इस प्रकार की बातों की चर्चा से जुड़ी कविताएं बच्चों के मन की आहट को अपने कैनवास पर समेटती हैं और इनमें घर आंगन के भीतर-बाहर के आत्मीय रिश्तों नातों के अलावा इसके आसपास के परिवेश में उपस्थित अन्य वस्तुओं के साथ भी बच्चों के मानस के सरल संबंधों को कविता की भाषा में स्पष्ट किया जा सकता है। बाल कविता बालमन के विकास में सहायक सिद्ध हो। शिक्षिका के रूप में कार्यरत नारियों का ज्यादातर समय बच्चों के बीच व्यतीत होता है और बच्चों के लिए रचित कविताओं में विद्यालय के परिवेश वहां उनके संगीत साथी अध्यापक इन सबके बीच उनकी दुनिया की चर्चा भी बाल कविताओं में प्रमुखता से होनी चाहिए।

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बच्चे समाज से आत्मीयता और अपनत्व चाहते हैं। उनका मन अत्यंत कोमल होता है। इस बात को श्रेष्ठ बाल कविताएं अपनी भाव भाषा और भंगिमा में खासतौर पर उजागर करती हैं। नींद में सोये बच्चे सुंदर सपनों की गोद में पलते हैं और सुबह इनके सामने एक सुंदर रंग-बिरंगा संसार रोज दस्तक देता है। बाल कविताओं में ज्ञान विज्ञान की बातों को भी विषयवस्तु का रूप प्रदान किया गया है। इस तरह भावोन्मेष के अलावा जीवन और जगत के प्रति चिंतन की ओर भी इस संकलन की कविताएं बच्चों को सतत् उन्मुख करती हैं। आशा है, बाल काव्य लेखन का हिंदी में इस दृष्टि से निरंतर विकास होगा। सुंदर बाल कविताएं बच्चों के हृदय में सबके प्रति प्रेम और ज्ञान के भाव को जाग्रत करेंगी और उनमें संवेदना अनुभूति का संचार करेंगी।


साहित्य चिंतन : बाल काव्य सृजन की चुनौतियां... बच्चे समाज से आत्मीयता और अपनत्व चाहते हैं। उनका मन अत्यंत कोमल होता है। इस बात को श्रेष्ठ बाल कविताएं अपनी भाव भाषा और भंगिमा में खासतौर पर उजागर करती हैं। नींद में सोये बच्चे सुंदर सपनों की गोद में पलते हैं और सुबह इनके सामने एक सुंदर रंग-बिरंगा संसार रोज दस्तक देता है।  #राजीव कुमार झा

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