आपके विचार

अपनेपन की मिठास

सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

कहते हैं कि चाय हो या रिश्ते, दोनों में ही मिठास चाहिए कि उनका रंग। बात एकदम सही है। मिठास है वहीं तो आप और हम हैं, वरना बिना मिठास के कौन किसका है। यह मिठास अपनेपन की होनी चाहिए। इसमें तेरा-मेरा नहीं होना चाहिए। यह प्रेम रूपी मिठास ही तो एक दूसरे को जोड़ती है। जैसे पतंग की डोर पतंग से बंधी होती है और पतंग डोर को अपने संग ऊपर ले जाती है, ठीक उसी प्रकार प्रेम की डोर ही ऐसी डोर है जो सभी रिश्तों को बांधे रखती है। लेकिन एक बार डोर टूट जाती है और उसमें गांठ पड़ जाती है, ठीक उसी तरह प्रेम और स्नेह के रिश्ते एक बार टूट जाते हैं तो फिर पुनः पहले जैसे नहीं रहते हैं। उनमें शंका, डर, फरेब की संभावना हर वक्त बनी रहती है। इसलिए रिश्तों और उसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए हर समय सजग, सतर्क जागरूक रहें।

अंधेरे में रोशनी बनो

समाज में अनेक लोग ऐसे होते हैं जो आपको कुछ भी नहीं गिनते हैं और मुसीबत के वक्त आपसे मदद मांगने जाते हैं। तो आप ऐसे लोगों को दुत्कारें नहीं, अपितु उनकी आपसे जितनी हो सके उतनी मदद अवश्य करें। चूंकि मुसीबत की घड़ी में जब किसी ने भी उनकी मदद नहीं की, तब उन्हें एकमात्र आप ही ऐसे व्यक्ति दिखे जो उनके जीवन के अंधकार में प्रकाश की लौ जगा सकते हैं। भले ही वे स्वार्थी लोग हैं, लेकिन एक आशा उम्मीद की किरण की आस से आये हैं, इसलिए उनके जीवन का अंधकार दूर करने के ध्येय से रोशनी बनकर उनके जीवन को प्रकाशमान बनाओ। किसी की समस्याओं का समाधान करके ही हम उन्हें अपने जैसा बना सकते हैं, अन्यथा उनमें और हम में क्या फर्क है।

जीवन का नियम

यह जीवन का एक नियम है कि जो भाग्य में है वो भाग कर आपके पास जरूर आयेगा और जो भाग्य में नहीं है वो आकर भी चला जायेगा। अतः व्यर्थ की चिंता करें। जीवन हमें कोई यूं ही नहीं मिला है, इसमें अनेक उतार-चढ़ाव देखने-सुनने को मिलते हैं। कहां हमें किसके साथ कैसा व्यवहार करना है, यह सब हमें जीवन के इन उतार-चढ़ाव के दौरान ही तो देखने को मिलते हैं। अन्यथा इस कलयुग में किसके पास इतना समय है जो कोई हमें अपने जीवन के अनुभवों का ज्ञान करा दे। जब हम ही अपने परिवारजनों के साथ उठते-बैठते नहीं हैं, उन्हें समय नहीं देते हैं तो भला कौन अपने जीवन के अनुभव बता पायेगा। दूसरों के अनुभवों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। बस जरूरत है तनिक समय देने की। समय ही हमें बहुत कुछ सिखा जाता है। इसलिए जहां तक हो सके समय का सदुपयोग कीजिए। चूंकि गया समय कभी वापस आता नहीं है और ही वह किसी का इंतजार करता है।


Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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