कविता : प्रभु की भक्ति में ध्यान लगा लें

सुनील कुमार माथुर
हे मानव ! तू इतना घमंड क्यों कर रहा हैं
दिन – रात इधर – उधर क्यों भटक रहा है
प्रभु की भक्ति में ध्यान लगा लें
तेरा बेडा पार हो जायेगा
रामजी ने केवट की भक्ति देखकर
उसका बेडा पार लगा दिया
कृष्ण ने सुदामा का बेडा पार लगा दिया
कृष्ण की भक्ति में मीरां दिवानी हो गई
हे मानव ! फिर तू इतना घमंड क्यों कर रहा है
काम , क्रोध , लोभ , लालच व अंहकार से
सदा ही इंसान का नुकसान ही हुआ हैं
जो सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करता हैं
ईश्वर सदा उसका कल्याण ही करता हैं
अगर धर्म स्थलों पर न जा सको तो
अपने बुजुर्गों व माता – पिता की ही
निःस्वार्थ भाव से सेवा कर दीजिए
बडे बुजुर्गों व माता – पिता की
निः स्वार्थ भाव से कि गई सेवा से ही
तुम्हें चारों धाम की यात्रा का पुण्य मिल जायेंगा
वरना जीवन भर पछताओगे
भगवान तो भक्तों के भाव के भूखें हैं
तुम अगर उनको केवल जल भी चढाओगे
तो भी वे उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लेंगे
वे अपने भक्तों को सदा देते ही है
लेते कुछ भी नहीं है
हम प्रभु को जो भी चढावा चढाते हैं
वह अपने ही स्वार्थ की खातिर चढाते हैं
वे तो भोले भाले , सीधे साधे हैं
वे तो भक्तों का भविष्य ही बनाते हैं
भविष्य को संवारते हैं फिर
हे मानव ! तू इतना घमंड क्यों कर रहा है
यह जीवन तो एक माटी का खिलौना हैं
न जाने कब टिला लग जायें और
यह माटी का पुतला माटी में ही मिल जायेंगा
और
तेरा घंमड धरा का धरा ही रह जायेगा
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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Very nice poem 👌
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Nice poem
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Bahut sundar