बाल कहानी : महकी बगिया

बाल कहानी : महकी बगिया, उन्होने बच्चों को बताया कि हर कार्य के लिए सरकार व प्रशासन के भरोसे नहीं छोड देना चाहिए। अपितु कुछ कार्य ऐसे भी होते है जिनकी शुरुआत हमें अपने घर से ही आरम्भ करने चाहिए। # सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
बरसात के दिन थे। चांद मोहम्मद, राजेन्द्र, चेतन नेहरू उधान में खेल रहे तभी हल्की – हल्की बौछारे पडने लगी। भीषण गर्मी में बच्चों को इससे काफी राहत मिली। वर्षा की फुव्वारों ने उनके मन में खुशी की लहर दौड पडी व बौछारों ने उनके मन व मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर दिया और वे सभी उछलकूद करने लगे।
तभी गर्वित दादा भी घूमते हुए वहां आ पहुंचे और बच्चों को अपने पास बैठाकर कहा, बच्चों बरसात के दिन आ गये हैं। अतः सुबह – शाम ठण्डक में अपने मौहल्ले के पार्क में गड्डे खोदकर पौधारोपण का कार्य आरम्भ कर दीजिए और फिर एक – एक पौधे को गोद लेकर उसकी पूरी देखरेख करे जब तक वह पौधे से वृक्ष न बन जाये।
दादाजी ने कहा बच्चों जीवन में वृक्षों का बडा ही महत्व हैं। वे हमें आक्सीजन, शुध्द हवा, छाया, फल, फूल देते है और पक्षियों को रहने के लिए आश्रय स्थल देते है और ये हरियाली, फल, फूल ही इस धरती के आभूषण हैं। दादाजी ने कहा कि बच्चों कोरोना काल में आपने देखा कि आक्सीजन के लिए कितनी मारामारी मची थी।
उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर हमने हरे भरे वृक्षों को काट दिया उसी का परिणाम हम आज भुगत रहे है। कही भी हरियाली नजर नहीं आती हैं अतः आप बरसात के इस मौसम में पौधारोपण कर हर गली, सडक के किनारे व अपने – अपने मौहल्ले में वृक्षारोपण कर वृक्षारोपण अभियान चला कर समाज के समक्ष एक सकारात्मक और आदर्श मिसाल कायम कीजिए। आपकी इस मुहिम को अगर हर मौहल्ले वाले ने अपना लिया तो हमारा हर गांव व शहर हरा भरा हो जायेगा।
उन्होने बच्चों को बताया कि हर कार्य के लिए सरकार व प्रशासन के भरोसे नहीं छोड देना चाहिए। अपितु कुछ कार्य ऐसे भी होते है जिनकी शुरुआत हमें अपने घर से ही आरम्भ करने चाहिए। दादाजी की बात का बच्चों पर इतना गहरा प्रभाव पडा कि उन्होंने मेहनत कर अपने गांव अमृत नगर को हरा भरा कर एक अनूठी मिसाल समाज के समक्ष प्रस्तुत की जिसकी सभी ने मुक्त कंठ से सराहना की। आज अमृत नगर की हर बगिया महक रही हैं।
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