साहित्य लहर

कविता : अब धर्म बताने आ रहें है

गणपत लाल उदय, अजमेर (राजस्थान)

अब धर्म बताने आ रहें है हम तुझको पाकिस्तान,
तेरी सात पुश्तें भी याद रखेगी जिसको ए शैतान।
सुन लेना आवाज़ हमारी ये खोलकर अपने कान,
दिखाएगा अपना जौहर अब दहाड़कर हिंदुस्तान।।

उबल रहा है खून सभी का बहन बेटी भाभीजान,
भ्रमणकर्ताओ को मारकर तुझे क्या मिला शैतान।
नमन है नारी के सिंदूर को जो दे दिए है बलिदान,
बदला हर सिंदूर का लेंगे बोल रहें हम सीना तान।।

समझाएंगे सिंदूर का मतलब हमारे फौजी जवान,
प्रतिशोध की ज्वाला लेगी ये आतंकियों की जान।
पहले ये ट्रेलर देखना शायद आ जाए तुझमे ज्ञान,
जल थल वायुसेना के संग अर्द्धसैनिकबल महान।।

बदल देंगे मानचित्र तेरा बन जाएगा तू क़ब्रिस्तान,
गरजेगा जब राफेल हमारा लोग रह जायेंगे हेरान।
हाहाकार मचेगा चारों ओर ना रहेगा नामोनिशान,
चुन-चुनकर मारे जाओगे इस महा युद्ध के दौरान।।

अब भी समय है समझ जा वरना आयेगा तूफ़ान,
भारत-देश महान है हमारा एवं रहेगा सदा महान।
शूरवीर महाराणा प्रताप व शिवाजी की है संतान,
सामने से ललकार पश्चात वार करते यह पहचान‌।।


Devbhoomi Samachar

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