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गढ़वाल विवि ने डीएवी, डीबीएस समेत 10 महाविद्यालयों की मान्यता की खत्म

गढ़वाल विवि ने डीएवी, डीबीएस समेत 10 महाविद्यालयों की मान्यता की खत्म… दून के 70 से 80 प्रतिशत छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा के लिए डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और एसजीआरआर पीजी कॉलेज पर निर्भर हैं। इन कॉलेजों की उत्तराखंड बनने से पूर्व से गढ़वाल विवि से संबद्धता है।

देहरादून। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल से उच्च शिक्षा ग्रहण करने की सोच रहे युवाओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। छात्रों को बड़ा झटका लगा है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने देहरादून के चार बड़े कॉलेज सहित 10 सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।

ये निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब करीब 20 हजार छात्र-छात्राएं कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) स्नातक और परास्नातक दे चुके हैं और दाखिले का इंतजार कर रहे हैं। अब ये कालेज कब तक श्रीदेव सुमन विवि या अन्य विवि से संबद्ध हो पाएंगे, यह साफ नहीं हैं। इससे छात्र-छात्राएं आगे की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं।

एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि ने 30 मई को कार्य परिषद की बैठक में विवि से संबद्ध 10 कॉलेजों को असंबद्ध करने का निर्णय लिया। परिषद ने अपने निर्णय से राज्य और केंद्र सरकार को भी पत्र भेजकर अवगत करा दिया। जिससे इन कॉलेजों की अन्य विश्वविद्यालय से संबद्धता पर सरकार फैसला ले सके।

गढ़वाल केंद्रीय विवि ने जिन अशासकीय कॉलेजों की संबद्धता खत्म की, उनमें देहरादून का डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, एसजीआरआर पीजी कॉलेज, डीडब्ल्यूटी कॉलेज, एमपीजी कॉलेज मसूरी, महिला विद्यालय डिग्री कॉलेज हरिद्वार, चिन्मय डिग्री कॉलेज हरिद्वार, बीएसएम कॉलेज रुड़की, राठ महाविद्यालय पैठाणी, पौड़ी गढ़वाल शामिल हैं।

दून के 70 से 80 प्रतिशत छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा के लिए डीएवी, डीबीएस, एमकेपी और एसजीआरआर पीजी कॉलेज पर निर्भर हैं। इन कॉलेजों की उत्तराखंड बनने से पूर्व से गढ़वाल विवि से संबद्धता है। इन कॉलेजों में दाखिले के लिए हजारों छात्र-छात्राएं सीयूईटी यूजी-पीजी दे चुके हैं। अब इन कॉलेजों की मान्यता समाप्त करने का निर्णय हो चुका है।

जिसके बाद छात्रों के पास एकमात्र विकल्प श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध राजकीय महाविद्यालय ही है। लेकिन, श्रीदेव सुमन विवि के कॉलेजों में दाखिले समर्थ पोर्टल से हो रहे हैं। यह पोर्टल 24 जून के बाद बंद हो जाएगा। ऐसे में छात्रों के पास केवल ज्यादा फीस भरकर निजी कॉलेजों में दाखिला लेने का विकल्प बनेगा। निजी कॉलेजों में पढ़ाना सभी अभिभावकों के बस की बात नहीं हैं।



श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से संबद्ध दून में केवल दो कालेज हैं। जिनमें देहरादून महाविद्यालय जो कि सुद्धोवाला में महिला पॉलिटेक्निक संस्थान के किराये के कमरों में संचालित किया जा रहा है। यहां साधन-सुविधा के नाम पर केवल चार कमरे और 11 शिक्षक हैं। इसके अलावा रायपुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में करीब 15 सौ छात्र-छात्राएं दाखिला ले सकते हैं। ऐसे में यह दोनों कालेज फिलहाल डीएवी-एमकेपी के विकल्प नहीं हो सकते हैं।




एचएनबी गढ़वाल विवि की कार्यपरिषद को कोई भी फैसला लेने का अधिकार है, लेकिन विवि ने कॉलेजों को असंबद्ध करने का निर्णय गलत समय पर लिया। क्योंकि 10 से 15 दिन के बीच सीईयूटी देने वाले छात्र-छात्राएं दाखिले की तैयारी कर रहे थे। यदि विवि को कॉलेजों को असंबद्ध करना था तो सीयूईटी की अनिवार्यता पत्र के बजाय असंबद्धता का पत्र जारी किया जाता। आखिर विवि और कॉलेजों की संपत्ति छात्र हैं। छात्रों का भविष्य बनाने की जिम्मेदारी सभी की है।

-डा. केआर जैन, प्राचार्य, डीएवी पीजी कालेज




एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि की कार्यपरिषद में विवि से संबद्ध 10 कॉलेज को असंबद्ध करने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से परिषद ने केंद्र और राज्य सरकार को अवगत करवा दिया है। अब कॉलेजों की संबद्धता पर सरकार को निर्णय लेना है।

-प्रो. एनएस पंवार, कुलसचिव, गढ़वाल केंद्रीय विवि




गढ़वाल विवि प्रशासन की ओर से नौ मई 2023 को सीयूईटी अनिवार्यता का पत्र सभी सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के प्राचार्य को भेजा जाता है। इसके 21 दिन बाद उन्हीं कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करने का निर्णय लिया जाता है। यह किसी भी कीमत पर उचित नहीं कहा जा सकता है। कॉलेज कहीं से भी संबद्ध हो, इससे छात्र-छात्राओं को ज्यादा लेना-देना नहीं होता है, लेकिन आज की स्थिति में छात्र परेशान हैं। यह परेशानी गढ़वाल विवि ने पैदा की है।

-डा.वीसी पांडेय, प्राचार्य, डीबीएस पीजी कॉलेज




गढ़वाल विवि ने असंबद्धता का समय गलत चुना

डा.सुनील आल इंडिया अनएडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. सुनील अग्रवाल का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय का यह निर्णय उचित नहीं है। अगर कालेजों को असंबद्ध करना ही था तो उसके लिए उपयुक्त समय होना चाहिए था। अब जबकि इन कालेजों में प्रवेश के लिए छात्रों ने परीक्षा दे दी है। वह प्रवेश का इंतजार कर रहे हैं।




ऐसे समय पर कालेजों को असंबद्ध करना हजारों छात्रों को भ्रम में डाल उनके भविष्य से खिलवाड़ करने जैसा है। अब अगर यह कालेज श्रीदेव सुमन विवि से संबद्धता लेते हैं तो उसके लिए भी अब समय नहीं है। श्रीदेव सुमन विवि में प्रवेश समर्थ पोर्टल के माध्यम से होने हैं। उसमें फार्म भरने की आखिरी तारीख 24 जून है। अब जबकि 24 जून की तिथि निकट आ चुकी है, ऐसे में हजारों छात्र इस भ्रम में रहेंगे।



तीन साल से चल रही थी असंबद्धता की प्रक्रिया

सभी अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों को एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि से असंबद्ध कर श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की प्रक्रिया तीन साल से चल रही है।

वर्ष 2020 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव डा. चंद्रशेखर कुमार ने इस आशय का पत्र हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल व राज्य के प्रधान सचिव (उच्च शिक्षा) को भेजा था।




लेकिन, इसी बीच सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की संबद्धता का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने आदेश किया कि इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार निर्णय लें। केंद्र सरकार पहले ही गढ़वाल विवि को इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दे चुकी थी।

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