लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार ‘पण्डित जवाहरलाल नेहरू’

लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार ‘पण्डित जवाहरलाल नेहरू’, भवानीमंडी, जिला- झालावाड (राजस्थान) से कवि, साहित्यकार डॉ. राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित” की कलम से…

लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार 'पण्डित जवाहरलाल नेहरू', भवानीमंडी, जिला- झालावाड (राजस्थान) से कवि, साहित्यकार डॉ. राजेश कुमार शर्मा "पुरोहित" की कलम से...सारा देश 14 नवम्बर को बाल दिवस के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म दिन मनाते हैं। बच्चों को नेहरू जी बहुत पसंद करते थे। बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे। वे अपनी अचकन में लाल गुलाब लगाते थे।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के संरक्षण में वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सर्वोच्च नेता के रुप में जाने जाते थे।नेहरू जी ने डिस्कवरी ऑफ इंडिया कृति लिखी जो काफी पसंद की गई।नेहरू जी आधुनिक भारतीय राष्ट्र राज्य एक सम्प्रभु समाजवादी धर्म निरपेक्ष व लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार कहे जाते हैं

नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।इनके पिता मोतीलाल नेहरू एवम माँ स्वरूप रानी थी।इनके पिता मोतीलाल जी कश्मीरी पंडित थे जो एक धनी बेरिस्टर थे।नेहरू जी ने दुनिया के बेहतरीन स्कूलों व कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त की थी।उन्होंने स्कूली शिक्षा हेरो से व कॉलेज की पढ़ाई ट्रिनिटी कॉलेज केम्ब्रिज लन्दन से प्राप्त की। उन्होंने लो की डिग्री केम्ब्रिज से की।इंग्लैंड में वे सात साल रहे।वे 1912 में भारत लोटे। भारत मे वकालात शुरू की।1916 में उनका विवाह कमला नेहरू जी से हुआ।1917 में वे होम रूल लीग में शामिल हुए।नेहरू जी ने जब देखा कि महात्मा गांधी जी ने रोलेट एक्ट के खिलाफ़ एक अभियान शुरू कर रखा है जो शांतिपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति वे आकर्षित हुए।

नेहरू जी ने स्वयं को व परिवार को महात्मा गांधी की तरह ढालने का काम किया। महंगे पश्चिमी कपड़े महंगी सम्पति का त्याग कर दिया।वे भी एक खादी का कुर्ता व गांधी टोपी पहनने लगे।नेहरू जी ने 1920 से 1922 तक असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।इस दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया। थोड़े दिनों बाद छोड़ दिया गया।

नेहरू जी 1924 में नगर निगम इलाहाबाद के अध्यक्ष चुने गए।शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर रहकर 2 वर्षों तक सेवा की।1926 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।1926 से 1928 तक ये अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव रहे।दिसम्बर 1929 में लाहौर में कोंग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हुआ जिसमें नेहरू जी को कोंग्रेस काअध्यक्ष बनाया गया। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव भी लिया गया।26 जनवरी 1930 को नेहरू जी ने स्वतंत्र भारत का झण्डा फहराया।इधर गांधी जी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया। आंदोलन सफल रहा।

जब ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम 1935 लागू किया तब कोंग्रेस ने चुनाव लड़ने का फैसला किया।नेहरू ने उस समय पूरे देश मे अभियान चलाया।कोंग्रेस ने हर प्रान्त में सरकार का गठन किया।केन्दीय असेम्बली में सबसे ज्यादा सीट लाकर बड़ी जीत प्राप्त की थी।नेहरू कोंग्रेस अध्यक्ष 1936 व 1937 में रहे।भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में जब चलाया तो नेहरू जी को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया।1947 में जब भारत आजाद हुआ तो प्रधानमंत्री बनाने के लिए सरदार पटेल को सबसे अधिक मत मिले।



उसके बाद कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले। लेकिन गांधी जी के कहने पर इन दोनों नेताओं ने अपना नाम वापस ले लिया ।औऱ जवाहर लाल नेहरू को भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बना दिया गया।अंग्रेजों ने लगभग 500 रजवाड़ों को एक साथ स्वतंत्र कर दिया।उस समय सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बांधना बड़ी चुनोती थी जिसे नेहरू जी ने बड़ी समझदारी से पूरा किया।जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया।



नेहरू जी ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी का विकास कीट।3 पंचवर्षीय योजनाओं का श्रीगणेश किया ।उनकी नीतियों के कारण देश मे कॄषि और उधोग का नव युग प्रारम्भ हुआ।विदेश नीति के विकास हेतु भरसक काम किया।कोरियाई युद्ध के अंत के प्रयास स्वेज नहर विवाद सुलझाने सहित कई अंतरराष्ट्रीय मसलों को सुलझाने का कार्य किया।भारत का पाकिस्तान व चीन के साथ सम्बधों को मधुर बनाने का काम जारी रखा लेकिन वे सफल नहीं हुए। 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था।नेहरू जी के लिए यह बहुत बड़ा झटका था।



नेहरू जी एक अच्छे लेखक थे। तिलक के बाद सबसे ज्यादा लिखने वालों में उनका नाम आता है।विश्व इतिहास की झलकभारत की खोज मेरी कहानी आत्मकथा जवाहर लाल नेहरू वांगमय को 11 खण्डों में प्रकाशित किया गया।उनकी प्रकाशित पुस्तकों में पिता के पत्र पुत्री के नाम राजनीति से दूर इतिहास के महापुरुष राष्ट्रपिता डिस्कवरी ऑफ इंडिया प्रमुख है।



पण्डित जवाहरलाल नेहरू जी के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने का काम किया।राष्ट्र व संविधान के धर्म निरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान किया।भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।वे मानते थे संस्कृति मन व आत्मा का विस्तार है।संकट में हर छोटी सी बात का महत्व होता है।जब हम अपने आदर्शों उद्देश्यों सिद्धान्तों को भूल जाते हैं तभी विफलताओं का मुँह देखना पड़ता है।जब तक आपके पास संयम व धैर्य नहीं तब तक आपके सपने राख में मिलते रहेंगे।बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो दूसरों के अनुभवों से सीखता है।


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