जिस राष्ट्र की साक्षरता होगी पूरी, वही बनेगा विश्वगुरु

डॉ. विक्रम चौरसिया (क्रांतिकारी)

शिक्षा ही मनुष्य को मनुष्यता की तरफ़ ले जाती है किसी भी देश का सबसे बड़ा अभिशाप वहां के निवासियों की निरक्षता है मनुष्य और पशु में यदि कोई अंतर है तो वो है बुद्धि का संसार के किसी ना किसी हिस्से में निरक्षता रुपी अभिशाप आज भी जड़ों को खोकला कर रहा है। आज हमें जरूरत है प्राथमिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए क्योंकि जब पेड़ को जड़ से सींचा जाएगा तभी पेड़ फलेगा –फूलेगा नई युवा पीढ़ी को प्रेरित करने से ही साक्षरता के सही अर्थ को समझा जा सकता है।

हमारे भारत सरकार ने 2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्‍य रखा हुआ है। हम सभी अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितम्बर को मनाते भी है जो की विश्व संस्था यूनेस्को के द्वारा सन 1966 में विश्वभर में निरक्षता को मिटाने के मकसद से यह अभियान शुरू किया गया है , इसी दिन यह संकल्प लिया गया कि किसी भी देश में 1990 तक कोई भी निरक्षक नहीं रहेगा यह अभियान 1995 तक ऐसे देशों में चलाया गया जो इसमें पिछड़े हुए थे भारत का नाम भी इनमें आता है,यह दिवस विश्वभर में साक्षरता के लिए संदेश देता है।

इसका उदेश्य लोगों तक ज्ञान पहुंचाना है क्योंकि निरक्षता अँधेरे के सामान है और साक्षरता प्रकाश के सामान अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए लोगों का साक्षर होना बहुत ही जरूरी है । मेरे आत्मीय साथियों साक्षरता केवल किताबी ज्ञान हासिल करने तक सीमित नहीं है बल्कि साक्षरता का मुख्य उदेश्य लोगों में उन के अधिकारों के प्रति और उनके कर्तव्यों के प्रति उन्हें जागरूक करना है साक्षरता गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकवाद को खत्म करने में समर्थ है आज भारत की साक्षरता दर में सुधार जरूर हुआ है किन्तु अभी भी यह अपने मकसद से कोसों दूर है।

दोस्त देखे तो साक्षरता का मतलब सिर्फ पढ़ना-लिखना आना ही नहीं होता, बल्कि अपने अधिकारों को जानना भी पढ़े-लिखे होने की निशानी है, हर व्यक्ति को अपने हकों , कर्तव्यों के बारे में पता होना ही चाहिए। हमारे संविधान निर्माता बाबा साहेब कहते हैं न की शिक्षा वो शेरनी का दूध है जो जितना पियेगा वह उतना ही दहाड़ेगा, आज आप से यही हम भी कहते हैं साथियों की शिक्षा ही हमारे जीवन के लिए अनमोल है, विश्व साक्षरता दिवस भी इसलिए मनाया जाता है।

ताकि पूरी दुनिया में कोई भी व्यक्ति अशिक्षित न रह जाएँ, आप भी खुद को जागरूक बनाएं, खुद को, परिवार को, समाज को और देश को शिक्षित बनाये, शिक्षा ही जीवन में सुख-शांति-समृद्धि लाकर हमे एक दिन विश्व गुरु बनाएगा, इसीलिए आज ही आप भी अपने आस पड़ोस के वंचित बच्चों या कोई भी जरूरतमंद को शिक्षित करने का संकल्प लीजिए, अपने अपने सामर्थ्य अनुसार जागरूकता का अलख जगाते रहे । अंत में आपसे यही कहूंगा कि आप किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए जबरदस्त लगातार प्रयत्न करते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति रखिए।

कहते भी है ना कि प्रयत्नशील व्यक्ति हमेशा खुद से कहता है कि मैं समुंदर पी जाऊंगा मेरी इच्छा से पर्वत टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे, इसी प्रकार की इच्छा व शक्ति आप भी आज से ही रखो, कठिन परिश्रम कीजिए एक दिन आप जरूर मंजिल को पाएंगे,जिससे एक दिन जरूर हमारा देश विश्वगुरु फिर से बनेगा । याद रखना दृढ़ निश्चय वाले व्यक्ति कभी भी हार नहीं मानते है, एक बात और जब तक हम प्रयत्न करना बंद नहीं कर देते तब तक कोई भी हार अंतिम नहीं होती, तो आज ही आप भी उमंग एवं कल्पना की उड़ान की सहायता से जीवन में उच्च लक्ष्यों को अपने मन मस्तिष्क में संजोइए, लगातार कई बार विफलता के बाद भी अपने लक्ष्य पर डटे रहो दोस्त, स्वामी विवेकानंद के शब्द याद रखना हजार बार गिरने पर भी फिर से एक बार उठो।

डॉ. विक्रम चौरसिया (क्रांतिकारी) – चिंतक/आईएएस मेंटर /दिल्ली विश्वविद्यालय 9069821319 लेखक समाजिक आंदोलनो से जुड़े रहे है व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights