साहित्य लहर

उन होंठों की थिरकन

डॉ. एम.डी. सिंह
महाराजगंज, गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)

किसी हुस्न औ अदा पे जो मैंने गजल कही
पढ़के लगता ही नहीं ये मैंने गज़ल कही

जब नजरें गिरा रही थीं बिजलियां बेशुमार
जिगर थामे हुए थे लोग मैंने गजल कही

चले गए वे तो भींगे गेसूओं को झटक
समय की सरपरस्ती में मैंने गजल कही


उन होंठों की थिरकन गालों के गड्ढे या रब
अनछुए दिल को छू गए कि मैंने गजल कही

कदम कदम पटक मटक यूं गए सामने से कि
मसलते छातियों को आज मैंने गजल कही

👉 देवभूमि समाचार के साथ सोशल मीडिया से जुड़े…

WhatsApp Group ::::
https://chat.whatsapp.com/La4ouNI66Gr0xicK6lsWWO

FacebookPage ::::
https://www.facebook.com/devbhoomisamacharofficialpage/

Linkedin ::::
https://www.linkedin.com/in/devbhoomisamachar/

Twitter ::::
https://twitter.com/devsamachar

YouTube ::::
https://www.youtube.com/channel/UCBtXbMgqdFOSQHizncrB87A

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights