कोई कीमत नहीं होती है, क्योंकि अनमोल होती है कला

सुनील कुमार माथुर
कलाकार की कला की कोई कीमत नहीं होती है चूंकि कला अनमोल होती है। यह व्यक्ति के भीतर छुपी भावों की सुंदर अभिव्यक्ति होती है जिसे एक कलाकार अपनी पेंटिंग के माध्यम से उकेरता है और वह अपनी कला ( पेंटिग ) के माध्यम से समाज एवं राष्ट्र को न केवल सकारात्मक संदेश, नई दशा और दिशा ही देता हैं अपितु साथ ही साथ जनता का स्वच्छ व स्वस्थ मनोरंजन भी करता है । यह उद् गार शोध छात्रा कुमारी परीक्षणा माथुर ने एक साक्षात्कार में व्यक्त किये ।
परीक्षणा ने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि अभिभावक बच्चों के कोमल – कोमल हाथों में मोबाइल न पकडे कर कलर और बुर्श पकड़ा कर बच्चों को सुंदर-सुंदर पेंटिंग बनाने के लिए प्रेरित करे और बालिकाओं को रंगोली बनाने के लिए प्रेरित करे ताकि हमारी सभ्यता और संस्कृति बरकरार रहे और हम हर वक्त बाजार पर निर्भर न रहकर हमअपने ही हुनर से घर की साज – सज्जा करें व आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करें ।
कु. परीक्षणा का कहना है कि कला को कभी भी मूल्यों से न आंके चूंकि कला तो अनमोल रत्न की तरह अनमोल है । कला को एक जौहरी की तरह परखें और कलाकार का हौसला अफजाई करें। कला में कलाकार की भावना को समझने का प्रयास करें और फिर कला एवं कलाकार को दाद दीजिए। आप ध्दारा की गई प्रशंसा व सराहना ही उस कला की असली कीमत हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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सही सोच
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