नए वैरिएंट की हलचल, नौनिहालों की चिंता भी जरूरी

ओम प्रकाश उनियाल
लंबे अरसे से महामारी के शिकंजे में जकड़े लोगों के मन में यह धारणा बन चुकी है कि कोरोना अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। भारत में भी ज्यादातर राज्यों से कोविड नियमावली का प्रतिबंध हट चुका है। लोग बिल्कुल ही लापरवाह हो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से कोरोना लगभग समाप्ति की ओर है। मगर कोरोना सरकारी आंकड़ों को धत्ता बताकर विभिन्न रूप बदल कर मार करता आ रहा है।
व्यवहारिक तौर पर सरकार से लेकर आम नागरिक यह जानते हुए कि अभी कोरोना का जीवाणु कहीं भी और कभी भी आक्रमक हो सकता है। इसके नए वैरिएंट तेजी से फैल सकते हैं। अत: अभी भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। पिछले दिनों दिल्ली, एनसीआर के कुछ विद्यालयों में बच्चों में फैलने के कारण एहतियातन कुछ दिन अपने विद्यालय बंद करने पड़े। विद्यालयों में एलकेजी, यूकेजी, नर्सरी व पहली से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं भी चल रही हैं।
भारत सरकार ने वृहद् स्तर पर जिस प्रकार से टीकाकरण अभियान चलाया उसी का परिणाम है कि हम महामारी से बचाव करने में काफी हद तक सफल रहे। हालांकि, बड़े-बुजुर्गों के अलावा 12 साल से अधिक उम्र वालों के टीकाकरण की प्रक्रिया जारी है। लेकिन नौनिहालों के बचाव के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है।
जिस प्रकार से चौथी लहर की संभावना बन रही है वह बारह साल से कम उम्र वालों के लिए भी तो घातक हो सकती है? इस संभावना को मद्देनजर रखते हुए फिलहाल छोटी कक्षाओं के संचालन पर रोक लगानी चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता पहले करनी चाहिए। बेशक, निजी विद्यालय इस बात से कतई भी सहमत नहीं होंगे। परंतु वक्त रहते यदि संभल गए तो नौनिहालों का जीवन किसी तरह प्रभावित नहीं होगा।
वैसे तो अगले माह से ग्रीष्मावकाश शुरु हो जाएंगे। फिर भी अपनी तरफ से लापरवाही न सरकार बरते, न अभिभावक और ना ही विद्यालय। साथ ही इस बात का ध्यान जरूर रखा जाए कि घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना न भूलें, भीड़-भाड़ से बचें एवं अपने आसपास व अपनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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