जिंदगी ऐसी जी जाओ की मौत भी शरम आ जाये

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सुनील कुमार माथुर

जहां प्रेम होता है, वहां बुरा वक्त अपने आप आराम से निकल जाता है और उसका आभास भी नहीं होता हैं। इंसान खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जाता है…

आज का इंसान जानता कुछ भी नहीं है फिर भी अंहकार में ऐसे घूम रहा है मानो उसके जैसा जानकार इस दुनियां में दूसरा कोई नहीं हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में हमेशा मात ही खाते हैं। चूंकि अंहकार हमारा सबसे बडा शत्रु है। इससे जितना दूर रहे उतना ही अच्छा हैं। जीवन में सुख दुख तो आते जाते ही रहते हैं। अतः हमें हर परिस्थितियों में समान रहना चाहिए।

सुख दुख तो एक सिक्के के दो पहलू है। एक आता है तो दूसरा अपने आप ही चला जाता है। ये कोई स्थाई नहीं होते है। जीवन में हमेंशा देने का ही भाव रखे न कि लेने का। जिम्मेदार बने न कि कमजोर। हमें कभी भी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहिए। अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाना भी एक कला हैं।

जहां प्रेम होता है, वहां बुरा वक्त अपने आप आराम से निकल जाता है और उसका आभास भी नहीं होता हैं। इंसान खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जाता है, तभी तो कफन के जेब नही होती है। जीवन में हर मौके का लाभ उठाए। कभी भी किसी को छोटा व कमजोर न समझे। सफलता पाने के लिए अपनी कमजोरियों को हराइये। जब सफलता प्राप्त हो जाये तब भी अपनी कमजोरियों को भूलना नहीं चाहिए। चूंकि उन्हे पाकर ही तो हमने सफलता का मार्ग खोज निकाला।

करें! जिंदगी ऐसी जी जाओं की मौत भी शर्मा जायें। सौम्यता ही हमारी सुगंध है। आंनद ही जीवन हैं। सत्कर्म ही हमारी शौभा है और परोपकार ही हमारा कर्तव्य है। अतः जीवन जीओं शान से व पानी पीओं छान कर। कभी भी किसी का दिल न दुखाएं। जहां तक हो सके वहां तक दूसरों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहे। हम किसी को जीवनदान नहीं दे सकते तो कम से कम उनका दुख तो बांट ही सकते हैं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार

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33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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