समाज में आम होती जा रही हैं प्रेम विवाह की घटनाएं
प्रेम का नैसर्गिक धरातल और वर्तमान जीवन संस्कृति में उपभोक्तावाद का संकट
राजीव कुमार झा
प्रेम विवाह की घटनाएं अब समाज में आम होती जा रही हैं और महानगरों के युवाओं में विवाह पूर्व सेक्स भी रोजमर्रा की शारीरिक जरूरतों में शामिल विषय हो गया है . यहां इनके अभिभावकगण घर परअपनी संतानों को अपने फ्रेंड्स के साथ एकांत में समय बिताने को लेकर ऐतराज नहीं करते.
आज सारा समाज तेजी से उपभोक्तावादी जीवन संस्कृति की चपेट में है और प्रेम को भी इससे अछूता नहीं कहा जा सकता है. महानगरों और बड़े शहरों में यह समाज के पढ़े लिखे लोगों के बीच तेजी से फैल रहा है . प्रेम में भटकाव की घटनाएं भी सामने आ रही हैं और प्रेम विवाह करने वाले दंपतियों में तलाक की घटनाएं भी बढ़ रही हैं लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया ने प्रेम और सेक्स के प्रति
लोगों में उदारता, लगाव और रुझान को निरंतर बढ़ावा दिया है.
पहले सिनेमा को समाज में प्रेम की प्रेरणा का स्रोत कहा जाता था. प्रेम में वासना का समावेश इसमें अनैतिकता का समावेश भी करता है और अक्सर इससे जुड़े प्रसंग भी सामने आते हैं . प्रेम अपराध के मामले भी समाज में बढ़ते जा रहे हैं. प्रेम संबंध अपने परिवार से बाहर की लड़कियों से ही कायम होते हैं और इसी से सेक्स संबंधों का बनना भी संभव हो पाता है.
प्रेम इसीलिए एक विशिष्ट जीवनानुभूति है और इसमें अलौकिक आनंद मिलता है. मुसलमान अपनी सगी बहनों को छोड़ कर परिवार की अन्य लड़कियों से भी प्रेम कर सकते हैं लेकिन हिन्दुओं में ऐसा नहीं है. बहन भाई की बातें निरर्थक हो सकती हैं.शुरू में तमाम अपरिचित लड़कियां बहन ही होती हैं लेकिन प्रेम प्रसंगों के बाद यह रिश्ता टूट जाता है!
हमें प्रेम और आवारगी में अंतर को भी समझना चाहिए और सच्चे मन से किसी लड़की या नारी के प्रति गहन स्वच्छंद आत्मिक अनुभूतियों को ही प्रेम कहा जा सकता है और इसकी साहचर्यता में जीवन अद्भुत आनंद से ओतप्रोत हो सकता है. प्रेम कोई त्रासदी नहीं है और यह एक नैसर्गिक सुख है .समाज , संस्कृति के दायरे में हमें विवेक के धरातल पर इसे प्राप्त करने का पूरा अधिकार है.
प्रेम और यौन संबंधों में अपनी दैहिक पवित्रता के ख़त्म होने और इन रिश्तों के टूटने के बाद काफी लड़कियां महानगरों में कालगर्ल के रूप में देह व्यापार का धंधा भी करने लगती हैं.चकलाघरों के बाहर देह व्यापार के धंधे में बढ़ोतरी का यह प्रमुख कारण है.
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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