कविता : दीवाली
राजीव कुमार झा
सबसे सुंदर
अपनी मुस्कान
हम किसे देखकर
तुम अपना मुंह
तभी फेरकर
तभी फूल धूप में
खिलते
हम दुपहरी के बाद
शाम में
दफ्तर से आकर
फोन तुम्हें तब करते
फिर कई दिनों के बाद
कभी जब मिलते
मानो अब तक रूठे से
होकर
घर में हमने
सबसे चुप रहकर
अपना यह समय
बिताया
सप्ताहांत में हमने
तुमसे कोई उपहार
कहीं पर पाया
तुमने फिर प्रेम जताया
जाड़े के इस मौसम में
कई दिनों के बाद
आज कहीं सूरज उग
पाया
हमने भी कहीं अलाव
जलाया
सबसे सुंदर फूल
आज खिला
तुम बेहद खुश हो
दीवाली के इस मेले में
आकर
अपने दामन में
इतने सारे खेल खिलौने
पाकर
सुबह गर्म पानी में
खूब नहाकर
किसके संग साथ में
खरीदारी करने आयी हो
घर को भी आज
सजाई हो
रंगरोगन करके
तुमने तोरणद्वार बनाया
दीवाली में
जगमग दीप जलाया.
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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