कविता : पांच पर्वो का अनूठा त्यौहार

कविता : पांच पर्वो का अनूठा त्यौहार… सुख समृद्धि धन लाभ संस्कृति पर्व दिवाली, चली आ रही प्राचीनकाल से प्रथाएं पुरानी। रिति-रिवाज व धार्मिक अनुष्ठान का त्यौहार, हरदिन की अलग-अलग कथा एवं कहानी।। पांच पर्वों का दीपावली ऐसा अनूठा त्यौहार, दीपावली का अर्थ है वर्तमान क्षण में रहना। भूतकाल ये भूलकर चिंता पश्चाताप छोड़ना #गणपत लाल उदय, अजमेर (राजस्थान)
पांच दिनों तक चलनें वाला ये ऐसा महापर्व,
धनतेरस से शुरुआत भाई-दूज पर समाप्त।
सम्पूर्ण भारतवासी मनातें है इसको हर वर्ग,
मकान और दुकान में करते दीप प्रज्वलित।।
घरों की लिपाई पुताई व करतें साफ सफाई,
अभियान सभी यह चलातें बनातें है मिठाई।
नया कुछ घर में लाते वस्तु वस्त्र और गहना,
परदेशी भी घर गांव आते करके वह कमाई।।
इन पांच दिवसीय पर्व के भिन्न-भिन्न है नाम,
धनतेरस व रुपचौदस लक्ष्मी पधारें दिवाली।
गोवर्धन पूजा के अगले दिन प्यारा भाईदूज,
दीप जलाकर पूजा करते बनातें घर रंगोली।।
सुख समृद्धि धन लाभ संस्कृति पर्व दिवाली,
चली आ रही प्राचीनकाल से प्रथाएं पुरानी।
रिति-रिवाज व धार्मिक अनुष्ठान का त्यौहार,
हरदिन की अलग-अलग कथा एवं कहानी।।
पांच पर्वों का दीपावली ऐसा अनूठा त्यौहार,
दीपावली का अर्थ है वर्तमान क्षण में रहना।
भूतकाल ये भूलकर चिंता पश्चाताप छोड़ना,
आपस कलह एवं नकारात्मक बातें भूलना।।
हमरंग फाउंडेशन द्वारा साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित हुए भुवन बिष्ट