कविता : रावण आज भी जिन्दा है
कविता : रावण आज भी जिन्दा है… अपने अपने बच्चों को आदर्श संस्कार दीजिए और उन्हें देश का आदर्श नागरिक संस्कारवान व चरित्रवान व्यक्ति बनायें और सकारात्मक सोच को अपना कर अपनी मानसिकता को बदलना होगा संस्कारवान बनें न कि चरित्र हीन बनें #सुनील कुमार माथुर , जोधपुर
हर वर्ष रावण दहन कर
हम दशहरा मनाते हैं और
रावण दहन ( दशहरा ) के नाम पर
दशहरा मैदान के बाहर
चाट पकौड़ी खाते हैं
हर वर्ष रावण दहन के नाम पर
हम करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं
लेकिन
रावण तो आज भी जिन्दा है
तभी तो अपहरण , बलात्कार की
अनहोनी घटनाएं घटित हो रही है
हमारे ही अड़ोस-पड़ोस में
हमारे ही मौहल्ले , गली , शहर में
हमारे ही कार्य स्थल पर
हमारी ही शिक्षण संस्थानों में
आज भी कहीं कहीं रावण छिपे हुए हैं
तभी तो नारी की अस्मिता
तार तार हो रहीं हैं
जब तक समाज में हमारे बीच में
रहने वाले इन असली रावणों का
सफाया नहीं होगा तब तक
रावण के पुतलों को फूंकना
पैसा और समय की बर्बादी ही हैं
जागों , जागों अब भी वक्त हैं
अपने अपने बच्चों को
आदर्श संस्कार दीजिए और
उन्हें देश का आदर्श नागरिक
संस्कारवान व चरित्रवान
व्यक्ति बनायें और
सकारात्मक सोच को अपना कर
अपनी मानसिकता को बदलना होगा
संस्कारवान बनें न कि
चरित्र हीन बनें