नीम और चंदन

नीम और चंदन… यह जीवन तो क्षणिक है। लेकिन जन्म व मृत्यु के बीच का जो समय है वो हम प्रेम और स्नेह के साथ व्यतीत करें तो जीवन आनंद मय बन जायेगा। वहीं दूसरी और हमारा परिवार, समाज व राष्ट्र स्वत: ही इस धरती पर स्वर्ग मय हो जायेगा। बस एक कदम आप बढाये व एक कदम हम बढायें फिर देखिए खुशियों का अंबार कैसे लगता हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
जीवन में हर चीज का अपनी-अपनी जगह महत्व है हम किसी को भी दूसरें से कम नहीं आंक सकते। सूई की जगह सूई व तलवार की जगह तलवार ही काम आती हैं। ठीक उसी प्रकार सभी इंसान एक जैसे नहीं होते है फिर भी उनके कामकाज के कारण उनका अपनी जगह अपना स्थान हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वे चंदन के समान होते हैं। चूंकि उनके कामकाज की दूर – दूर तक सराहना होती हैं। वे स्वयं कुछ भी नहीं कहते हैं, लेकिन उनके कामकाज बोलते है कि वे कैसे हैं। जैसे चंदन का पेड स्वयं नहीं कहता कि मैं चंदन का पेड हूं लेकिन ऊसकी खुश्बू ही बता देती है कि यह चंदन का वृक्ष हैं।
जबकि नीम के पत्ते कडवे होते हैं। फिर भी वह नाना प्रकार से किसी न किसी के काम आता ही रहता हैं। लोग उसके कड़वेपन को जानते हुए भी उसके महत्व को नकार नहीं सकती। ठीक इसी प्रकार समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो किसी की भी चापलूसी नहीं करते हैं और न ही उन्हें चापलूसी पसंद होती हैं। परिणाम यह होता हैं कि मुंह फट लोगों को समाज हेय दृष्टि से देखता हैं जो न्याय संगत नहीं।
जिसे हम उसके मुंह फट होने की वजह से हेय दृष्टि से देखते हैं वे ही लोग दूसरों के दुःख सुख में सबसे ज्यादा काम आते हैं चूंकि वे भले ही बाहर से नारियल की तरह कठोर क्यों न हो। मगर उनका हृदय भीतर से नारियल की गिरी की तरह नर्म व कोमल होता हैं। वे पीड़ित लोगों की मदद के लिए हर वक्त अपने सामर्थ्य के अनुसार अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं। इसलिए चंदन के समक्ष नीम को कभी भी निम्न स्तर का न आंके। दोनों का अपना-अपना महत्व हैं। न ही कभी सभी को एक ही लाठी से हांका जाये।
यह जीवन तो क्षणिक है। लेकिन जन्म व मृत्यु के बीच का जो समय है वो हम प्रेम और स्नेह के साथ व्यतीत करें तो जीवन आनंद मय बन जायेगा। वहीं दूसरी और हमारा परिवार, समाज व राष्ट्र स्वत: ही इस धरती पर स्वर्ग मय हो जायेगा। बस एक कदम आप बढाये व एक कदम हम बढायें फिर देखिए खुशियों का अंबार कैसे लगता हैं।