आपके विचार

साहित्य समागम समय की आवश्यकता : माथुर

साहित्य समागम की वर्तमान समय में आवश्यकता को लेकर हमारे कलमकार (रिपोर्टर) ने जोधपुर के साहित्यकार सुनील कुमार माथुर से चंद सवालों को लेकर साक्षात्कार किया जिसे यहां प्रकाशित किया जा रहा हैं…

रिपोर्टर : वर्तमान समय में साहित्य सृजन कैसा हो
माथुर : साहित्य सृजन ऐसा हो जो समाज के हर आयु वर्ग के लोगों का श्रेष्ठ मनोरंजन करें और सरल भाषा में हो जिसे हर कोई आसानी से समझ सकें। वही दूसरी ओर समय के अनुकूल हो और उसमें हमारी सभ्यता और संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दें। श्रेष्ठ मनोरंजन के साथ ही साथ साहित्य प्रेरणादायक व शिक्षाप्रद भी हो।

रिपोर्टर : श्रेष्ठ साहित्य सृजन की आवश्यकता आज के संदर्भ में जरूरी क्यों है ?
माथुर : चूंकि आज की युवाशक्ति आफ लाइन साहित्य पढ़ने से दूर होती जा रही हैं और वह मात्र आनलाईन पर ही पूरी तरह निर्भर होती जा रही हैं जिसके कारण उसने आफलाइन साहित्य से पूरी तरह से दूरी बना ली है। इतना ही नहीं आनलाईन घासलेटी साहित्य उन्हें (अश्लील वीडियो व साहित्य) आसानी से उपलब्ध हो रहा हैं जो समाज हित में उचित नहीं है। इसे रोकने के लिए रचनाकारों को श्रेष्ठ साहित्य सृजन की ओर पहलें से अधिक ध्यान देने की जरूरत है अन्यथा युवा शक्ति (युवा पीढ़ी) पतन के गर्त में चली जायेगी।

रिपोर्टर : इसमें अभिभावकों व प्रकाशकों की भूमिका क्या हो ?
माथुर : अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को श्रेष्ठ बाल साहित्य उपलब्ध कराये ताकि वे उन्हें पढ़कर देश के आदर्श नागरिक बन सकें। वहीं दूसरी ओर प्रकाशकों को भी चाहिए कि वे बच्चों को श्रेष्ठ बाल साहित्य उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर साहित्य समागम का आयोजन करें व अभिभावक बच्चों को आफलाइन बाल साहित्य उपलब्ध करायें। चूंकि श्रेष्ठ साहित्य ही हमारा सच्चा मित्र हैं वहीं दूसरी ओर आफलाइन साहित्य पढ़ने से मन व मस्तिष्क में चिंतन मनन होता हैं व उसका प्रभाव मस्तिष्क पर लम्बे समय तक बना रहता हैं व सकारात्मक नई सोच विकसित होती हैं।

रिपोर्टर : इसमें सरकार की क्या भूमिका हो सकती है ?
माथुर : सरकार साहित्य समागम के लिए आयोजकों व प्रकाशकों को भरपूर आर्थिक सहयोग प्रदान करें जिससे वे साहित्य समागम में आने वाले साहित्यकारों के लिए ठहरने, खाने पीने, समागम स्थल, उन्हें बस स्टेंड व रेलवे स्टेशन से लाने ले जाने व यात्रा के दौरान हुए व्यय का भुगतान करने की सुविधा दे सकें। इसी के साथ सरकार बाल साहित्य समागम के विशेषांक को सभी सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक वाचनालयों में पाठकों को पढ़ने के लिए सरकारी स्तर पर खरीद कर ने की व्यवस्था करें ताकि अधिकाधिक पाठक उन्हें पढकर लाभान्वित हो सकें।

रिपोर्टर : आपकी नजर में श्रेष्ठ साहित्य सृजन कैसा होना चाहिए ?
माथुर : जो पाठकों का श्रेष्ठ मनोरंजन कर सके और साथ ही साथ वह उनका सही मार्गदर्शन कर सकें एवं एक आदर्श अभिभावक व गुरू की भांति सही मार्गदर्शन करें, ताकि पाठक राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ा रहें और इधर उधर न भटके

रिपोर्टर : साहित्य सृजन के लिए साहित्यकारों के पास इतने विषय लिखने को कहां से उनके दिमाग में आते हैं ?
माथुर : जैसे एक कचरा बिनने वाला कचरे के ढेर में भी अपने उपयोग की वस्तुओं को ढूंढ निकाल लेता हैं, ठीक उसी प्रकार साहित्यकार भी समाज का एक अभिन्न अंग है जो समाज में जैसा देखता है उसे अपने ढंग से लिखकर, उसे एक माला के रुप में पिरोकर पाठकों के समक्ष परोस देता (प्रस्तुत कर देता) हैं। साहित्यकार कि निगाहें हर समय उठते बैठते समाज में हो रही गतिविधियों पर रहती हैं और यहीं वजह है कि वह समाज में व्याप्त गंदगी ( बुराइयों ) को भी अपनी लेखन कला के जरिए आसानी से प्रस्तुत कर देता है। साहित्यकार को लेखन के लिए विषय का चयन करने के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता है, अपितु विषय खुद चलकर रचनाकार के पास आ जाते हैं और वह उन्हें अपने शब्दों में पिरोकर जन जन तक पहुंचा देता हैं।

रिपोर्टर : आप इस साक्षात्कार के जरिए समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
माथुर : साहित्य समागम का नियमित रूप से हर वर्ष आयोजन होना चाहिए ताकि साहित्यकारों को प्रोत्साहन मिलें और विचारों का आदान-प्रदान हो सकें। नकलची लेखकों व रचनाकारों को सम्पादक मंडल व प्रकाशक ब्लैक लिस्ट करें व हर अंक में नये रचनाकारों की रचनाओं को भी प्राथमिकता के साथ प्रकाशित कर उन्हें भी प्रोत्साहन दिया जाये।

इसी के साथ सरकार प्रकाशकों को रियायती दर पर उत्तम क्वालिटी का कागज व स्याही उपलब्ध कराये, डाक प्रेषण की भी रियायती दर पर सुविधा उपलब्ध कराई जाये। रचनाकारों को निःशुल्क लेखकीय प्रति, उचित मानदेय व समय समय पर प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया जाये। वहीं दूसरी ओर डाक विभाग देश भर में बिगड़ी डाक व्यवस्था में व्यापक सुधार लाए ताकि साधारण डाक भी आम जनता तक समय पर पहुंच सके व साहित्यकारों व प्रकाशकों के बीच बेहतर तालमेल बना रह सकें।


Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights