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ईश्वर के अनेक रूप

ईश्वर के अनेक रूप… जिसके ललाट पर नियमित रूप से तिलक होता है वही ईश्वर का हो जाता हैं। ललाट पर लगा तिलक हमें सही मार्ग दिखाता हैं। हमारा पथ प्रदर्शन करता…  जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…

ईश्वर एक हैं लेकिन उसके रूप अनेक हैं। आप किसी भी रूप को पूजे, यह आप पर निर्भर करता हैं लेकिन ईश्वर की पूजा अवश्य करें तभी आपका कल्याण होगा। मां अपने बच्चों का ख्याल रखती है और मौसी मां जैसी होती हैं। ठीक उसी प्रकार ईश्वर किसी भी रूप में क्यों न हो वे सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उनका कल्याण ही करते हैं। चूंकि वे ही हमारे पालनहार हैं।

हम तो ईश्वर के बंदे हैं। वह जैसा चाहे वैसा हमें नचाते हैं और हम नाचते हैं। हम तो केवल एक निमित मात्र हैं। ईश्वर न तो हम से गलत कार्य कराता हैं और न गलत कार्य करने को कहता हैं। हम अज्ञानतावश, मूर्खता के कारण, बुरी व छोटी सोच के कारण गलत कार्य करते हैं। ईश्वर तो हमें सदैव नेक कर्म करने को कहता है। वही सच्चाई के मार्ग पर चलने को कहता है।

संयम, करूणा, ममता, वात्सल्य, प्रेम, दया, सहनशीलता का पाठ हमें ईश्वर ही तो पढाता हैं। चूंकि वे तो बडे ही दयालु हैं। वे किसी का भी दुख नहीन देख सकते फिर भला हम से गलत कार्य क्यों करायेंगे। हम जब सच्चाई, ईमानदारी, दया, करूणा, ममता व वात्सल्य के मार्ग से भटक जाते है तो अंहकार, क्रोध, घमंड हम पर हावी हो जाते हैं और गलत कार्य करने लगते है और फिर इस दलदल में ऐसे फंस जाते है कि उससे बाहर निकलना हमारे लिए कठिन हो जाता हैं। तब हम मूर्खता के कारण इसके लिए ईश्वर को दोषी ठहराते हैं।

अतः जीवन में कभी भी गलत व अनैतिक कृत्य न करें और नि स्वार्थ भाव से ईश्वर की भक्ति करें। ईश्वर की भक्ति करने से मन हल्का होता है और प्रेम, करूणा, ममता, वात्सल्य का भाव जागृत होता हैं। जो व्यक्ति ईश्वर की भक्ति की उपेक्षा करता है उसका सदैव विनाश ही होता हैं और उसके कार्यों में सदैव बाधाएं ही आती हैं।

ईश्वर तो अपने भक्तों के भाव के भूखे हैं। वे अपने भक्तों से कुछ भी नहीं मांगते हैं। ईश्वर की जिन पर कृपा बनी रहती हैं वे लोग सदैव प्रसन्नचित व खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं और जो ईश्वर की भक्ति में बाधक बनता हैं, वह जीवन में कभी भी प्रगति नहीं कर सकता। ईश्वर हमें हर कदम पर एक नयी राह दिखाता हैं लेकिन मूर्खतावश हम उसके संकेतों को समझ नहीं पाते हैं।

जिसके ललाट पर नियमित रूप से तिलक होता है वही ईश्वर का हो जाता हैं। ललाट पर लगा तिलक हमें सही मार्ग दिखाता हैं। हमारा पथ प्रदर्शन करता हैं। अतः इस तिलक का मान सम्मान करना चाहिए प्रभु अपने भक्तों को कहते है कि नेक कार्य करने में कभी भी हिम्मत न हारे, चूंकि मैं तुम्हारे साथ हूं। प्यार एक दरिया हैं जिसमें व्यक्ति को तैरना आना चाहिए। अतः ईश्वर से प्यार कीजिये व उसकी दरिया में डूबकी लगाकर अपने जीवन को संवार लिजिए।

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