धर्म-संस्कृति

धर्म के प्रतीक माने जाते हैं हनुमान जी

हनुमान जयंती पर विशेष लेख : हनुमान जी को महावीर कहा जाता है, वह मंगलमूर्ति हैं

राजीव कुमार झा

चैत पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का पावन स्मरण और उनकी सच्ची उपासना से सबका कल्याण होता है ! हनुमान जी का जनम इसी दिन हुआ था!  रामायण में राम के साथ इनकी उपस्थिति इस महाकाव्य की कथा को पूर्ण करता है!

इस महाकाव्य में हनुमान जी से हमारा परिचय सीताहरण के बाद वन में राम के द्वारा उन्हें ढूंढ़ने के दौरान होती है और इसके बाद रामायण की कथा में वह बुद्धि ज्ञान वैराग्य साहस शौर्य और पराक्रम के प्रतीक के रूप में सारे भक्तों के साथ स्वयं भगवान राम के लिए भी श्रद्धा प्रेम और सम्मान के सबसे सुंदर और महान चरित्र के रूप में अपने कार्यों में संलग्न दिखाई देते हैं!

हनुमान वानरराज सुग्रीव के सेनापति थे और किष्किंधा के जंगल में राम – लक्ष्मण को सीताहरण के बाद उदास भटकता देखकर ब्राह्मण वेष में आकर उन्होंने उनसे उनका परिचय पूछा था – ” को तुम शयामल गौर शरीर शरीरा ! क्षत्रिय रूप फिरहु वन धीरा!

“राम ने हनुमान जी को अपना परिचय देकर उनसे मित्रता की थी – ” कोशलेश दशरथ दशरथ के जाए हम पितु वचन मान वन आये यहां हरहि निशिचर वैदेही विप्र फिरहु हम खोजत तेहि !! हनुमान जी ने इसके बाद राम को अपने स्वामी सुग्रीव से मिलवाया था और उनकी वानर सेना के सहारे राम ने समुद्र पर सेतु बंधन करके रावण के राज्य लंका पहुंचने में सफलता पायी थी!

यहां राम के हाथों युद्ध में रावण मारा गया था और सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाकर राम अयोध्या लौट आए थे ! विजयादशमी का त्योहार इसी खुशी में मनाया जाता है ! हनुमान सबसे बड़े रामभक्त माने जाते हैं ! राम उन्हें लक्ष्मण के समान मानते थे और उन्होंने हनुमान जी को अपना सच्चा स्नेह प्रदान किया था !

हनुमान जी की पूजा के बिना राम की पूजा अपूर्ण कही जाती है। ! हनुमान जी सीता को माता के समान मानते थे और पवनपुत्र के रूप में राम के लंका पहुंचने से पहले उन्होंने समुद्र को पार करके अशोक वाटिका में जाकर सीता जी को सांत्वना प्रदान की थी ! हनुमान देवी अंजनी के पुत्र थे और परम ज्ञानी थे ! वह सुग्रीव के अलावा विभीषण के भी मित्र थे!

रामायण में लंका पहुंचने के बाद विभीषण ने अपना दुख उन्हें सुनाया था और हनुमान ने उन्हें सांत्वना दी थी ! हनुमान जी धर्म के प्रतीक माने जाते हैं ! रामनवमी के दिन हिंदू उनकी वीरता की पताका अपने घरों में फहराते हैं ! तुलसीदास ने रामचरितमानस में उनकी वन्दना की है – ” अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं दनुज वन कृसानुं ज्ञानीनामग्रगण्यं ” ! तुलसीदास के द्वारा रचित हनुमान चालीसा सारे संसार में प्रसिद्ध है!

हनुमान जी भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं और शत्रुओं का नाश करके मनुष्य के जीवन से समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करते हैं !

हनुमान जी की जय हो!


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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