गूंज कलम की : ऑनलाईन आशुलेखन प्रतियोगिता सम्पन्न

पटना। “गूँज कलम की” राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था,पटना (बिहार) के मुख्य मंच पर ऑनलाईन आशु लेखन काव्य प्रतियोगिता दिनांक 24/07/2022 को रात्रि 9बजे से 10 बजे तक सम्पन्न हुई। मुख्य संचालिका सुशी सक्सेना ने इंदौर, मप्र से इस प्रतियोगिता का संचालन किया और सम्पूर्ण देश से कवि/कवयित्रियों ने इसमें प्रतिभागिता करते हुए प्रदत्त विषय “जिंदगी” पर लगातार एक घंटे तक काव्य रचनाएं लिखी।
संस्था अध्यक्ष डॉ. स्नेह लता द्विवेदी जी, पटना से,मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी डॉ.राजेश कुमार शर्मा, भवानी मंडी (झालावाड़) से तथा मंच प्रभारी कृष्ण चतुर्वेदी, बूंदी (राजस्थान) से उपस्थित रहकर रचनाकारों की आशु रचनाओं पर उनका हौसला बढ़ाते रहे। कलमकारों ने शानदार कविताएं लिखकर वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया।
डॉ.राजेश कुमार शर्मा, भवानी मंडी झालावाड़ से जिंदगी को लेकर कुछ इस अंदाज में पेश हुए…
“जिंदगी एक बहती सरिता है जिसके सुख दुख दो किनारे है।”
जिंदगी एक रंगमंच है हम अभिनेता, दर्शक तालियां बजाते हैं और घर चले जाते है।।”
प्रोफेसर डॉ मीना श्रीवास्तव, ग्वालियर ने “बदहाल मेरी जिंदगी ग़म सहे जाते नहीं, कैसे मुहब्बत हम करें कुछ आप सिखलाओ सनम।।” शानदार ग़ज़ल लिखी।नीलम नारंग, मोहाली पंजाब से “खुशियां न रास आई इसको,हो गई कितनी अकेली जिंदगी”कहकर अपने मन की पीड़ा व्यक्त करती है। सुशी सक्सेना, इंदौर मप्र से लिखती हैं..”कांटे समेट लिए हमने फूलों की परवाह में।”मंडला मप्र से प्रोफेसर शरद नारायण ने जिंदगी पर अपनी कविता यूँ प्रस्तुत की…
“मुस्कानों को जब बांटोगे, तब जीने का मान है।
मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।”
वंदना सिंह, वाराणसी,उप्र ने….
“सूरज की रोशनी बहुत दूर है,हम गर्दिशों में चाँद ताकतें रहे”,नवादा, बिहार से लोकप्रिय कवि पीयूष राजा ने जिंदगी के केनवास पर अपने रंग उड़ेले और शानदार कविता लिखी…।थांदला, मप्र से डाॅ.सीमा शाहजी ने जीवन का मूल्यांकन करते हुए लिखा…
“जीवन मायावी नहीं होता
पर रिश्ते मायावी हो जाते हैं।”इंदौर से आई डाॅ.नीता देशमुख ने कहा…
“अनंत शक्ति प्रदत्त यह जीवन
ईश-विशिष्ट कृति यह जीवन ”
संगीता जांगिड़, महाराष्ट्र ने बहुत खूब लिखा….
ऊंट जिस करवट बैठे,उधर ही कारवां बना लेना।
तुम इस जिंदगी से प्यार करते चलना।।”
संत कुमार सारथि, नवलगढ़ ने..”जीवन है अनमोल निधि, खुशियों की झोली भर लिजिए।”
रमा खरे,बांदा, उप्र से जीवन संघर्षों को कविता में ढालकर खूबसूरत कविता लिखती हैं।एस के कपूर,बरेली ने “कोई एक बेमिसाल कहानी होनी चाहिए जीवन में।”शीर्षक से सुंदर कविता लिखी।नीति गुप्ता,लुधियाना पंजाब से जिंदगी के बारे में अपना दृष्टिकोण यूँ रखती है….
“जिंदगी वो नहीं जो धड़कती है सब की देह में।
जिंदगी तो वो है जो जीते हैं किसी और के लिए।।”
सुशी सक्सेना ने दिल जीत लिया यह कहकर….
“छोड़ जाते है जो भी दिल के करीब होते हैं।
क्या करें साहिब यहीं अपने नसीब होते है।।”
कवयित्री नीलम व्यास, जोधपुर ने….”जो वक्त तेरे साथ बिताया बस वहीं जिंदगी है।”हेमलता भारद्वाज, इंदौर से….”अपने पराए समझ न आते”कहकर प्यार की चाहत रखती है। डॉ.कवि कुमार निर्मल, बेतिया बिहार से “तंत्र रहस्य”शीर्षक से जीवन पर दृष्टिपात करते हैं। शकुन्तला श्रीवास्तव, भोपाल जिंदगी को कई कई रूपों में प्रकट करती है। पुष्पा निर्मल बेतिया बिहार से….
“जिंदगी से मित्रता कर लो, मित्र की जरूरत हर वक्त पड़ेगी।”शानदार कविता पढ़ती है। महेंद्र राज चौहान, अजमेर राजस्थान से….
“हम हुए ना कभी पत्थर दिल तुम्हारी तरह, कहकर अपने दिल का दर्द बयां कर देते हैं।अंत में दिल्ली की युवा कवयित्री नेहा पण्डित जिंदगी के बारे में अपना बयान इस तरह देती है….
“क्यों इस तरह लब खामोश है।
चलो सुनहरे अल्फाज़ दे दो।
मैं रहूं ना रहूं कल तेरी जिंदगी में,
आओ “नेहा”को अपना आज दे दो।”
लगातार एक घंटे तक कवि/कवयित्रियों ने जिंदगी पर जमकर लिखा और “क़लम की गूंज” से मंच हर्षित रोमांचित हो उठा।
अंत में सभी साहित्यकारों को शुभकामनाएं देते हुए मंच प्रभारी कृष्ण चतुर्वेदी, बूंदी राजस्थान ने यह कहकर कार्यक्रम समापन की घोषणा की….
“देख-देखकर जिंदगी,कवि सब कलम चलाय।
कोई ग़म में डूबता, कोई हँसता जाय।।