सटीक सवालों के सटीक जवाब

सुनील कुमार माथुर
मित्र प्राय: सवाल करते हैं कि आज के समय में हमारे देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की हैं फिर भला पत्रकारिता और साहित्य का स्तर क्यों गिर रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है । मित्रों ने अनेक सटीक सवाल किये जिनमें से कुछ चुनिंदा सवालों के जवाब इस प्रकार हैं।
प्रश्न : पहले समाचार पत्रों में पाठकों के पत्र जन समस्याओं को लेकर प्रकाशित हुआ करते थे, वे आजकल बंद क्यों कर दिये?
उतर : जन समस्याओं के प्रकाशन से संबंधित विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता उजागर होती है । अतः सरकार ने पत्र पत्रिकाओ के संपादकों को विज्ञापन देकर यह कालम बंद करा दिया।
प्रश्न : आज पहले जैसे प्रेरणादायक आलेख प्रकाशित क्यों नहीं होते?
उतर : संपादक मंडल ने साहित्यकारों व रचनाकारों को पारिश्रमिक व निःशुल्क लेखकीय प्रति देना बंद कर दिया और अब उन्हीं की रचनाएं प्रकाशित होती है जो उस पत्र पत्रिकाओ का सदस्य हो । अतः रचनाकार पैसे देकर रचनाएं प्रकाशित नहीं कराता है जिन्हें छपाक का रोग होता है वे ही अपने नाम के लिए चंदा देकर सदस्यता ग्रहण करते हैं ।
प्रश्न : आपकी नजर में वर्तमान में पत्रकारिता कैसी है?
उतर : मेरी नजर में वर्तमान में पत्रकारिता का स्वरुप मिशनरी पत्रकारिता न होकर व्यवसायिक पत्रकारिता का है । आज पत्र पत्रिकाओ में साहित्यिक रचनाएं कम प्रकाशित होती है चूंकि ये पत्र पत्रिकाएं न होकर एक तरह के पेम्प्लेट्स का संकलन बन गये है । चंदा दो और विज्ञापन पढे । ऐसे में पत्र पत्रिकाओ का प्रकाशन बंद होता जा रहा है । चूंकि आज का रचनाकार न तो किसी प्रकाशक कि चापलूसी करता है और न ही मुफ्त की कलम घिसाई में विश्वास करता हैं।
प्रश्न : आनलाईन प्रकाशन की आवश्यकता क्यों पडी?
उतर : आज हर कार्य कम्प्यूटराइज हो गया । कागज , छपाई व कम्प्यूटर पर कम्पोज कराने का कार्य काफी मंहगा हो गया है । इसलिए आनलाईन पत्र पत्रिकाओ का प्रकाशन आरंभ हुआ । अब लेखक स्वंय टाईप कर प्रकाशनार्थ सामग्री भेज रहा है । संपादक को तो बस अपने बैनर तले उसे प्रकाशित करना होता है और रचनाकारों को एक रचनात्मक मंच मिल जाता है वहीं दूसरी ओर पत्र पत्रिकाओ के लिए उन्हें बाजार में भटकना नहीं पडता है और प्रकाशित होते ही तत्काल मेल व व्हाटसएप पर पत्र पत्रिका का ताजा अंक मिल जाता हैं।
प्रश्न : गूगल मीट पर यह कवि सम्मेलन व गोष्ठियों का प्रसारण क्यों?
उतर : इसके एक नहीं अनेक कारण है । कवि सम्मेलन व गोष्ठी स्थल तक आने जाने के समय की बचत , रात्रि के समय में सुरक्षा की दृष्टि से उचित , आयोजको का मुफ्त में प्रचार , न पारिश्रमिक न प्रमाण पत्र देना , आयोजक प्रमाण आनलाईन देने में भी आना कानी करते है , दे भी दिया तो उसके प्रिंट का खर्चा गोष्ठी में भागीदार प्रतिभागी को ही वहन करना पडता है और आयोजक मुफ्त की वाह-वाह लुटते हैं।
प्रश्न : श्रेष्ठ साहित्य लेखन हेतु क्या करना होगा?
उतर :– स्थानीय रचनाकारों को प्रोत्साहन दें । रचनाकारों को पर्याप्त मात्रा में पारिश्रमिक दे । आनलाईन का जमाना है तो उन्हें मोबाइल रिचार्ज का खर्च दिया जाये । समय समय प्रोत्साहन स्वरुप उत्कृष्ट साहित्य लेखन हेतु प्रमाण पत्र देकर उनका हौसला अफजाई किया जाये । अन्यथा आने वाले समय में कई और पत्र पत्रिकाओ का प्रकाशन बंद होगा । चूंकि पाठकों को श्रेष्ठ साहित्य चाहिए न कि घास लेटी साहित्य।
प्रकाशक जन समस्याओं को प्राथमिकता से उजागर करे , स्थानीय रचनाकारों को स्थान दें । मिशनरी पत्रिकारिता की ओर ध्यान दे । तभी वे पाठकों को अपने से जोड पायेगे।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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