साहित्य लहर

बाल कविता : नन्ही गुड़िया

बाल कविता : नन्ही गुड़िया, लाल-लाल गालों से मुस्कुराती दूध जैसे दांत सबको दिखाती नन्हें नन्हें हाथों से क ख ग लिख कर आई, लिखवाट उसकी सबको पसंद आई। गोल गोल गालों को मटकाती खुद को परियों की रानी कहलाती। #डॉ.राजीव डोगरा, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)

नन्ही नन्ही गुड़ियां आई
चाँद सितारे साथ है लाई।
दो चोटियां बनाकर आई
देखकर उसको
सबके चेहरा पर
मुस्कुराहट आई।

लाल-लाल गालों से मुस्कुराती
दूध जैसे दांत
सबको दिखाती
नन्हें नन्हें हाथों से क ख ग
लिख कर आई,
लिखवाट उसकी
सबको पसंद आई।

गोल गोल गालों को मटकाती
खुद को परियों की
रानी कहलाती।

आखिर प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का कारण क्या है?


बाल कविता : नन्ही गुड़िया, लाल-लाल गालों से मुस्कुराती दूध जैसे दांत सबको दिखाती नन्हें नन्हें हाथों से क ख ग लिख कर आई, लिखवाट उसकी सबको पसंद आई। गोल गोल गालों को मटकाती खुद को परियों की रानी कहलाती। #डॉ.राजीव डोगरा, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)

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