सम्पादक के नाम पत्र : समस्याओं से राहत कब मिलेगी ?
सम्पादक के नाम पत्र : समस्याओं से राहत कब मिलेगी ? अगर सरकार ने अभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया तो जनता आन्दोलन की राह पर कभी भी जा सकती है जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
मुफ्त बिजली : सरकार चाहे केन्द्र की हो या राज्य की। हर सरकार अपने आपको लोक कल्याणकारी सरकार बता कर जनता-जनार्दन से ठगी करती है और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के प्रयास में लगी रहती हैं। राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 100 यूनिट बिजली फ्री देना आरंभ की लेकिन यह लाभ केवल वे ही भोग रहे है जिसके नाम पर बिजली का बिल आ रहा है। उस मकान में रहने वाले किरायेदार को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है और उससे पूरे 9 रूपये प्रति यूनिट मकान मालिक वसूल रहा हैं।
यह कैसी मुफ्त की बिजली हुई। किरायेदारों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित करना समानता के अधिकार का सरासर उल्लंघन है जिस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए। जब हर बिल में सौ यूनिट बिजली फ्री है तो उसका लाभ किरायेदारों को भी मिलना चाहिए। वे भी इसके हकदार हैं। केवल वोटों की राजनीति से शासन नहीं चलता है। अगर सरकार ने अभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया तो जनता आन्दोलन की राह पर कभी भी जा सकती है जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
वरिष्ठ नागरिकों का हक क्यो मारा : रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा के दौरान किराये में राहत आरम्भ की थी लेकिन रेलवे के कुछ आला अधिकारियों को यह बात हजम नहीं हुई और उन्होंने इस रियायत को बंद करा दिया। क्या बुजुर्गो के कल्याण की बातें करने वाली सरकार को यह तनिक राहत भी हजम नहीं हुई जो इसे बंद कर कौन सा खजाना भर लिया। मैं आशा करता हूं कि रेल मंत्री जी मानवीयता को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा के दौरान राहत देना पुनः आरंभ करेगे। चूंकि समस्या तो समाधान चाहती है न कि दलगत राजनीति।
कहां गई सब्सिडी : सरकार ने रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी बंद कर दी। लेकिन उस हिसाब से रसोई गैस के दामों में कोई कमी नही की। रसोई गैस सिलेंडर प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं ने केवाईसी करा ली, लेकिन फिर भी उनके खाते में किसी भी प्रकार से सब्सिडी अभी तक नहीं आई।
मुख्यमंत्री जन आवास योजना : हर व्यक्ति का अपना आवास हो। इस ध्येय को लेकर राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री आवास योजना आरम्भ की। मगर अफसोस इस बात का है कि निर्माण कार्य कराने वाले लोग धन की बंदरबांट कर लेते है और निम्न स्तर की सामग्री का इस्तेमाल करते है जिससे मकानों की गुणवता देख कर ही खरीददार मुंह मोड लेता है और फिर ये आवास धीरे-धीरे खंडर में बदल जाते है। अगर सरकार आरम्भ से ही मकानों के निर्माण में सही ढंग से व गंभीरता से ध्यान दे तो आवास अच्छी क्वालिटी के बन सकते हैं और आम जनता को रियायती दर पर उपलब्ध हो सकते है।
बेकाबू मंहगाई : सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण आज मंहगाई जिस तरह से बढ रही है। वह न केवल चिंता जनक बात है, अपितु शर्म की बात है। केन्द्र व राज्य सरकारों को संयुक्त रूप से मिलकर मंहगाई पर काबू पाना चाहिए और बढते दामों पर अंकुश लगा कर फिर से हर खाध सामग्री, किराने का सामान राशन की दुकानों के माध्यम से जनता को उनके मौहल्ले में ही रियायती दर पर उपलब्ध कराना चाहिए।
जो इलाका बडा हो वहां दो से अधिक राशन की दुकानें खोले व उनके खूलने का समय सुबह 8 से 12 व शाम को 5 से 8 बजे तक का हो ताकि आम जनता बिना किसी परेशानी के आसानी से सामान खरीद सके और बढती मंहगाई से राहत पा सके।