तपा हुआ जीवन
आज का इंसान घमंड में जी रहा हैं और दूसरों को नीचा दिखाने का हर सम्भव प्रयास करता हैं। भले ही इससे उसको कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है फिर भी ऐसा करना वह अपनी शान समझता हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
त्याग, सहनशीलता, संयम, धैर्य जैसे गुण हर किसी में नहीं होते हैं। ऐसे सर्वश्रेष्ठ गुण उन्हीं के जीवन में देखने को मिलते है जिनका जीवन तपा हुआ हो, जो सेवाभावी हो। तप से ही जीवन को तपाया जाता है। इसलिए जीवन में परोपकार का होना नितांत आवश्यक है। जो हर किसी के बस की बात नहीं है। चूंकि आज का इंसान बात बात पर हिंसा, तोड़फोड़, गाली गलौज, क्रोध व मारपीट करता हैं । भला ऐसे में उनके जीवन में कैसे संयम, धैर्य, सहनशीलता और त्याग की भावना जागृत हो सकती हैं।
प्रशंसा और शाबाशी उन्हें ही मिलती हैं जिनका जीवन निर्मल व पवित्र हो और जहां ईमानदारी व कार्य के प्रति निष्ठा का भाव हो। आपके पास धन दौलत हैं तो आपके पास मित्रों और रिश्तेदारों की कोई कमी नहीं है। एक की जरूरत हो तो दस आपके साथ खडे हो जायेगे। लेकिन आप के पास धन दौलत नही है तो आपका सगा भाई भी आपका साथ देने को तैयार नहीं है। आज सभी धन दौलत के दीवाने हैं। धन के अभाव में आपकों कोई भी पूछने वाला नहीं है।
इसलिए याद रखिए कि अगर जीवन में मित्रों की संख्या कम है तो भी चल जायेगा। मित्र हो तो ऐसा हो जो हमारी चापलूसी न करे अपितु जहां हम गलती पर हो वहां हमें हमारी गलती से अवगत कराये ताकि समय रहते हम अपनी गलती को सुधार सके व भविष्य में फिर से वैसी गलती न हो। वहीं दूसरी ओर जब हम सही हो तो वह हमारे साथ खडा रहे।
वर्तमान समय में हमें समर्पण व समर्थन कम ही देखने को मिलता हैं। जब व्यक्ति परमसता परमात्मा के प्रति समर्पित नहीं हैं तो किसी व्यक्ति और राष्ट्र के प्रति वह कैसे समर्पित हो सकता हैं। लेकिन आप कोई कार्य आरंभ कीजिए विरोध करने वाले सैकड़ों लोग खडे हो जायेगे। आपका कार्य सही है फिर भी विरोधियों को हजम नहीं होता हैं और वे विरोध के लिए विरोध करने लगते हैं और येन केन प्रकारेण अड़ंगा लगा कर बनते कार्य को बिगाड़ने वालों की कोई कमी नहीं है। अतः समर्थन और विरोध विचारों का होना चाहिए , किसी व्यक्ति का नहीं।
आज का इंसान घमंड में जी रहा हैं और दूसरों को नीचा दिखाने का हर सम्भव प्रयास करता हैं। भले ही इससे उसको कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है फिर भी ऐसा करना वह अपनी शान समझता हैं। जो व्यक्ति घमंड, अंहकार में जीता है वह जीवन में कभी भी प्रगति नहीं कर सकता हैं। इतना ही नहीं वह अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा हैं।
व्यक्ति का मन कोमल होना चाहिए। उसके मन में दया, करूणा, ममता, वात्सल्य, प्रेम, स्नेह, और, विश्वास का भाव होना चाहिए। अंहकार व घमंड का त्याग कर मन को झुकाना होगा परोपकारी बनना होगा। अगर अंहकार मन में भर कर हम परमात्मा के सामने कितना भी सिर झुका ले लेकिन हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। मन में कोमलता का कोना है तो परमात्मा हमारी बात कहीं से भी सुन लेगे।
Nice article
Nice
True
Nice