जीवन का ज्ञान

जीवन का ज्ञान… ज्ञान का भण्डार इतना है कि जितना सीखा जाये उतना ही कम है। यही जीवन का ज्ञान है कि हमने कितना सीखा। यह नहीं कि किसने कितना सीखाया और कब कब क्या क्या सीखाया। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
यह मानव जीवन अमूल्य है और यह संसार एक सराय हैं। इस सराय में इंसान एक यात्री की भांति आता हैं और अपने अपने कर्म करके चले जाते हैं।जब तक यह मानव जीवन मिला है तब तक हर रोज , हर क्षण हमें नया सीखने को मिलता है लेकिन हम आलस की वजह से सीखने का सुनहरा अवसर खो देते हैं। यह हमारी भूल नहीं अपितु मूर्खता ही हैं जो पास आये सुनहरे अवसर को खो बैठते हैं।
जीवन में प्रायः यह देखा गया है कि कोई किसी को निशुल्क सीखाना चाहता है तो उसे कोई सीखना नहीं चाहता हैं और कोई निशुल्क सीखना चाहता है तो सीखाने वाला नहीं मिलता है। अब आप ही बताइए कि दोष किसका हैं। इस नश्वर संसार में अथाह ज्ञान का भण्डार भरा पडा हैं लेकिन कोई सीखने का प्रयास नहीं करता है। वह उतने से ही काम चलाना चाहता है जितने से काम बनता हैं।
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ज्ञान का भण्डार इतना है कि जितना सीखा जाये उतना ही कम है। यही जीवन का ज्ञान है कि हमने कितना सीखा। यह नहीं कि किसने कितना सीखाया और कब कब क्या क्या सीखाया। जीवन में केवल किताबी ज्ञान ही काफी नहीं है व्यक्ति को व्यवहारिक ज्ञान का होना भी नितांत आवश्यक है।
जिसको केवल किताबी ज्ञान ही प्राप्त हो और व्यवहारिक ज्ञान से अनभिज्ञ हो वह व्यक्ति इस नश्वर संसार में पढा लिखा अज्ञानी के अलावा देश पर एक बोझ (भार) के समान है। जीवन में ठोकरें खा खा कर इंसान बहुत कुछ सीख जाता है लेकिन प्रयास ऐसा कीजिए कि बार बार ठोकर न खानी पडे।