साहित्य लहर
तेरा सानिध्य

राजीव डोगरा
मैं तेरे पास रहूं
तेरे साथ रहूं
यही काफी है।
मंत्रों का बोझ
तंत्रो का ओज
भारी सा लगता है।
तेरी गोद में
ममता भरी छाया में
सोया रहूं
यही काफी है।
जन्म जन्मांतर की सिद्धियां
युगों-युगों की रिद्धियां
अब भारी सी लगती है
तेरा हाथ पकड़ कर
बस चलता रहूं
हर जगह
हर क्षण
यही काफ़ी है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »डॉ. राजीव डोगरालेखक एवं कवि, (भाषा अध्यापक) गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वाराAddress »गांव जनयानकड़, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) मो.: 9876777233Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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