सरस्वती का उपासक
सरस्वती का उपासक, तभी वहां लालचंद प्रजापत भी आ गये और बोले, लेखन एक रचनात्मक कार्य हैं। यह समाज की सच्ची सेवा है। रचनाकार, साहित्यकार, कलमकार समाज का सजग प्रहरी हैं। शुभ चिंतक हैं। वह अपने लेखन के जरिए जन जन का सही मार्गदर्शन करता हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
सुनील रविवार को अपने घर के गार्डन में बैठा देवभूमि समाचार पत्र पढ रहा था तभी चेतन और चांद मोहम्मद भी आ गये और बोले काफी समय हो गया व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं हुई सो सोचा आज मिलकर आये और दुःख सुख की बातें कर अपना मन हल्का कर लें।
बातचीत के दौरान साहित्य पर चर्चा करते हुए चेतन ने कहा कि सुनील जी आजकल लेखन का कार्य कैसा चल रहा है। तब सुनील ने कहा कि साहित्य सृजन आजकल थमने के दौर में चल रहा है रचनाकार की कोई भी सराहना नहीं करता, कोई टिका टिप्पणी नहीं, कोई पारिश्रमिक नहीं। और तो और आनलाईन दिये जाने वाले प्रशंसा पत्र भी प्रकाशकों ने देना बंद कर दिया।
तभी वहां लालचंद प्रजापत भी आ गये और बोले, लेखन एक रचनात्मक कार्य हैं। यह समाज की सच्ची सेवा है। रचनाकार, साहित्यकार, कलमकार समाज का सजग प्रहरी हैं। शुभ चिंतक हैं। वह अपने लेखन के जरिए जन जन का सही मार्गदर्शन करता हैं। श्रेष्ठ मनोरंजन करता हैं। राष्ट्र की मुख्यधारा से कटे हुए व्यक्ति को अपना दर्पण दिखाकर ( हकीकत से ) राष्ट्र की मुख्यधारा से पुनः जोडने का प्रयास करता हैं।
हां, यह बात सत्य है कि साहित्यकार का सम्मान होना चाहिए। चूंकि वे अपने गहन चिंतन से समय-समय पर अपनी लेखनी के जरिए सही दशा व दिशा समाज को दिखाता है। इसलिए कलमकार का सम्मान साहित्यकार का ही सम्मान नहीं है अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र का सम्मान हैं। साहित्यकार ही एक ऐसा व्यक्ति है जो मां सरस्वती का उपासक हैं। अतः उन्हें सम्मान मां सरस्वती का सम्मान हैं।