समायोजित शिक्षकों के साथ यह कैसा षड्यंत्र…?

समायोजित शिक्षकों के साथ यह कैसा षड्यंत्र…? लगातार कार्यरत कर्मचारियों से बीच में इस तरह की शर्तें लागू करना सेवा नियमों के खिलाफ है। पेन्शन पाना कर्मचारियों का हक हैं। यह कोई भीख नहीं है… सुनील कुमार माथुर, (जोधपुर राजस्थान)
राजस्थान सरकार ने अनुदानित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों को ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्कूलों में समायोजित किया था उस वक्त शिक्षकों व कर्मचारियों से एक शपथ पत्र भराकर लिया कि वे अपनी शेष सेवा गांवों में ही देगे और पिछली स्कूलों में जो लाभ मिल रहे थे वे वो लाभ नहीं लेगे।
इस तरह का शपथ पत्र लेकर राजस्थान सरकार ने अनुदानित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों को समायोजित करने के बहाने उनके साथ बडा भारी छलावा किया हैं और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मिलनें वालीं पेंशन से वंचित कर दिया गया हैं जो सरासर धोखा ही कहा जा सकता हैं।
लगातार कार्यरत कर्मचारियों से बीच में इस तरह की शर्तें लागू करना सेवा नियमों के खिलाफ है। पेन्शन पाना कर्मचारियों का हक हैं। यह कोई भीख नहीं है। जब राजस्थान सरकार ने पुरानी पेन्शन योजना को पुनः लागू कर दिया हैं तो फिर क्यों इन कर्मचारियों को पेन्शन से वंचित कर रखा हैं ?
सरकार एक ओर नारा लगा रही हैं कि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए वहीं दूसरी ओर इन शिक्षकों व कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात कर इन्हें आर्थिक व मानसिक वेदना देकर भूखों मरने के लिए मजबूर कर रही हैं। सरकार ने सोचा भी नहीं कि ये सेवानिवृत कर्मचारी कैसे अपना जीवन व्यापन कर रहें है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वंय बार बार कह रहे हैं कि पेन्शन पाना कर्मचारियों का हक हैं तब देने में आनाकानी क्यों ? समस्या तो समाधान चाहती है न कि दलगत राजनीति। अतः गहलोत सरकार सभी समायोजित सेवानिवृत कर्मचारियों को अविलंब पेन्शन देने के आदेश जारी कर उन्हें मानसिक व आर्थिक वेदना से मुक्ति दिलाये।
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Sahi h , very right article, karmchariyo ko Pension toh milni hi chahiye, ye unka haak h
Sahi hai
True, government should now do the needfull bahut hua ab
True