उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से
यात्रा सुखद बनाने का संकल्प लें

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से… वाहन चालक धीमी व निर्धारित गति अनुसार वाहन चलाएं, ओवरटेक न करें, शराब व अन्य किसी प्रकार का नशा न करें, किसी प्रकार का वाद-विवाद न करें… ओम प्रकाश उनियाल, देहरादून (उत्तराखण्ड)
यूं तो भारत के चारों दिशओं में चारधाम स्थित हैं। जो कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के द्योतक होने के साथ-साथ हिन्दुओं की आस्था एवं श्रद्धा के प्रतीक भी हैं। पूर्व में जगन्नाथपुरी (उड़ीसा), पश्चिम में द्वारका (गुजरात), उत्तर में बद्रीनाथ (उत्तराखंड), और दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडू)। जिनके दर्शनार्थ पूरे वर्ष तीर्थ-यात्रा चलती ही रहती है। हिन्दू धर्म में इनका खासा महत्व है।
इसके अलावा उत्तराखंड राज्य में भी चार प्रसिद्ध धाम हैं। हिमालय के आंचल में स्थित ये चारधाम छोटा चारधाम के नाम से भी विख्यात हैं। गढ़वाल मंडल के जनपद चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में ये धाम हैं। बद्रीनाथ (चमोली), केदारनाथ (रुद्रप्रयाग) एवं गंगोत्री-यमुनोत्री (उत्तरकाशी) में।
चारधाम-यात्रा परंपरागत रूप से अप्रैल माह में अक्षय तृतीया 22 अप्रैल से शुरु होगी। इस दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल व बद्रीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को। धार्मिक यात्रा के लिए 18 फरवरी 2023 से यात्रियों का ऑनलाइन पंजीकरण शुरु किया गया। यात्रा छह माह तक चलती है। धामों के लिए प्रतिदिन यात्रियों की संख्या भी अलग-अलग निर्धारित की गयी है।
धामों तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा भी करनी पड़ती है। पैदल चलने में असमर्थ के लिए घोड़े-खच्चर, कंडी आदि की किराए पर व्यवस्था भी रहती है। अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण कई बार मौसम का मिजाज बदलता रहता हैै। अपने साथ कुछ गरम कपड़े अवश्य लाएं। उत्तराखंड सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
यात्रा को सफल बनाने व यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो के लिए भरसक प्रयास कर रही है। ताकि अधिक से अधिक यात्री धामों का दर्शन कर अपने जीवन को सफल बना सकें। इसके साथ ही सरकार की गाइडलाइन का पालन हरेक तीर्थयात्री जरूर करे। मास्क अवश्य पहनें। तीर्थयात्री पहाड़ों पर किसी प्रकार की गंदगी न फैलाएं।
वाहन चालक धीमी व निर्धारित गति अनुसार वाहन चलाएं, ओवरटेक न करें, शराब व अन्य किसी प्रकार का नशा न करें, किसी प्रकार का वाद-विवाद न करें, किसी भी प्रकार की समस्या आने पर यात्रा-मार्गों पर तैनात पुलिस सहायता लें। अपनी तीर्थयात्रा को सुखद, आनंददायक व अबाधित बनाने का संकल्प लें।
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