स्वस्थ-सुखी जीवन के आयाम
सुनील कुमार
स्वस्थ समाज में स्वस्थ शरीर और स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है। यह एक बहुत पुरानी कहावत है, जो अक्षरस: सत्य भी है। सामान्यतः लोग शरीर की रोगमुक्त अवस्था को ही स्वस्थ होना समझते हैं, जबकि यह पूर्णतः एक गलत धारणा है।
व्यक्ति के केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होने की दशा को स्वस्थ होना नहीं कहा जा सकता,क्योंकि स्वस्थ होने का मतलब है व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ होना। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से संतुलित विकास ही स्वास्थ्य है।
वास्तव में स्वास्थ्य एक व्यापक अर्थ वाला शब्द है। इससे आशय स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मन दोनों से है। इस प्रकार जब भी स्वास्थ्य शब्द का प्रयोग किया जाए तो इसके दोनों आयामों पर ध्यान दिया जाए अर्थात शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य, क्योंकि शरीर और मन दोनों घनिष्ठता से अंतः संबंधित हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही रूप से स्वस्थ होना बहुत ही जरूरी है, और इसके लिए आवश्यक है कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना-
- प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठें और रात को जल्दी सोएं।
- दिनचर्या का पूर्ण ईमानदारी से पालन करें।
- व्यक्तिगत व सामाजिक स्वच्छता पर पूर्णत: ध्यान दें।
- प्रतिदिन प्रातः भ्रमण एवं सुविधा अनुसार व्यायाम अवश्य करें।
- क्षमता अनुसार शारीरिक श्रम अवश्य करें।
- सप्ताह में कम से कम एक बार शरीर की मालिश अवश्य करें।
- मौसम के अनुकूल कपड़े पहने।
- दैनिक भोजन में संतुलित आहार तथा पर्याप्त मात्रा में पानी अवश्य लें।
- औसतन प्रतिदिन 6 से 8 गिलास पानी अवश्य पिएं।
- पानी पीने, नहाने व अन्य कामों के लिए स्वच्छ जल का ही उपयोग करें।
- खुले में रखी खाद्य एवं पेय सामग्रियों का उपयोग कभी न करें।
- मौसमी फल और सब्जियों का सेवन अवश्य करें।
- प्रतिदिन निश्चित समय पर भोजन करें। सामान्यतः प्रातः दस से एक बजे के मध्य दिन का भोजन और सायं छ: से आठ बजे के मध्य रात का भोजन अवश्य कर लें।
- रात का भोजन सोने के समय से दो से तीन घंटे पूर्व कर लें।
- मुंह ढक कर कभी न सोएं। स्वांस हमेशा नाक से ही लें।
- प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद अवश्य पूरी करें।
- स्वस्थ और सकारात्मक विचारों का ही चिंतन-मनन करें।
- उत्तेजना और क्रोध को वश में रखें। आवेश में कभी कोई निर्णय न लें।
- स्वच्छता संबंधी आदतों का व्यवहारिक जीवन में उपयोग करें।
- धूम्रपान,मद्यपान या अन्य मादक पदार्थों का सेवन कभी न करें।
- इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स जैसे-मोबाइल,लैपटॉप,कंप्यूटर, एयरफोन आदि का सीमित उपयोग करें।
- सदैव तनाव मुक्त व प्रसन्नचित्त रहें।
उपरोक्त बातों को अमल में लाकर हम अपने जीवन को स्वस्थ-सुखी व दीर्घायु बना सकते हैं,बस जरूरत है एक सकारात्मक पहल की।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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