लेखीं पैढ़ी क्या पाई

राजेश ध्यानी “सागर”

लेखीं पैढ़ी क्या पाई ,
कनु म्वरी त्यारू रे
विद्या मेरी बेंची खाई
कनु म्वरी त्यारू रे
डकार भि नी ल्याई
खैंरी मेरी बेंचि द्या
ब्वे बाबा की आस त्वेन
झट कैंरी की तोड़ी द्याई
लैखीं पैंढीं क्या.

दिन त छोंड़ रात ज़गोल़ी ,
पढ़दा पढदा रैग्यूं मीं
ब्वे बोनि रे सैंजा बाबा ,
अणसुणूं रें कैंग्यूं मीं
त्वें दया नी आई रें
कनु म्वरीं त्यारूं रे ।
लैखीं पैंढीं क्या.

कनि निठुरी जिकुड़ी तेरी ,
रुप्यां तिन खाणां नी
रोटि खैं द्यें त्वेन मेरी
देवतों ये तैं छोंण्यां नी
उच्यांणूं गणदूं रेल़ी रे
कनु म्वरीं त्यांरु रें ।
लैंखीं पैंढ़ी क्या.

कींता क्यांकू टिपणां छवां
मांछों मैंण डाल़ा रें
गोंल़ी मा ज्यूंणु घांल़ि की ,
चौबटा मा ल्यांवा रे
ड़ाल़ा रें येंकु घात रें
कनु म्वरीं त्यांरूं रे
लैंखीं पैंढीं क्या पाई.


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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राजेश ध्यानी “सागर”

वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखक

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144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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