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राष्ट्रीय समाचार

ट्विन टावर गिराने से देश को क्या हासिल हुआ…?

नई दिल्ली। नोएडा में भ्रष्टाचार का ट्विन टावर रविवार को गिरा दिया गया। विस्फोट के बाद चंद सेकंड में 800 करोड़ रुपये की यह विशाल इमारत ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर गई। अवैध रूप से निर्मित इस ढांचे को ध्वस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 को आदेश दिया था। इमारत तो ढह गई लेकिन इसके बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं। सबसे पहला और बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस इमारत के ढहने से देश को क्या हासिल हुआ।

क्या देश में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। इस कार्रवाई के बाद फिर से देश में ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। देश के लोग ये उम्मीद करेंगे कि फिर से हमारे सामने ऐसी स्थिति ना बने। आखिरकार हमने ट्विन टावर को गिराकर क्या हासिल किया। 18 साल पहले लोगों के आशियाने के लिए कवायद शुरू होती है। बिल्डर जमीन खरीदता है, नोएडा अथॉरिटी इसकी अनुमति देती है। फिर शुरु होता है बिल्डर, प्रशासन की मिलीभगत का खेल। इसके बाद भ्रष्टाचार की नींव पर गगनचुंबी इमारत खड़ी हो जाती है। ऐसे में जब गलतियां उजागर होती हैं तो मामला कोर्ट में चला जाता है। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सिर पर छत की उम्मीद लगाए लोगों को क्या मिलता है, बारूद और धूल का गुबार, मलबे का ढेर।

ट्विन टावर को ढहाने का आदेश और फिर उस पर पालन ने देश की न्यायपालिका में लोगों का भरोसा तो जरूर बढ़ाया है। लोगों को यह भरोसा तो हो गया है कि अगर कोई गलत करेगा तो सुप्रीम कोर्ट का डंडा उस पर जरूर चलेगा। भले ही इसमें समय लगे लेकिन न्यायपालिका से लोगों को न्याय जरूर मिलेगा। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने लोगों में उम्मीद जगाई थी।

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि अनधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा। यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है। इस पूरे मामले में अदालत ने जिस तरह से स्टैंड लिया है, उससे लगता है कि इस तरह के नियमों के खिलाफ होने वाले निर्माण पर रोक लगेगी।

नोएडा में जब दोपहर 2.30 बजे ट्विन टावर गिरा तो धुएं का जोरदार गुबार उठा। ये सिर्फ धुएं का गुबार नहीं था बल्कि उन बिल्डर्स के लिए नसीहत थी जो पैसे के बल मनमर्जी करते हैं। अब बिल्डर पैसे के दम पर बार-बार अपने हाउसिंग प्रोजेक्ट में मनमर्जी के बदलाव करने से पहले सौ बार सोचेंगे। इतना ही नहीं इस फैसले ने एक नजीर तो जरूर रखी है कि ‘सब चलता है’ वाला एटिट्यूड काम नहीं आएगा।

इससे बिल्डर में यह संदेश तो जरूर जाएगा कि गलती या धांधली कि तो फंसना पड़ा जाएगा। प्रोजेक्ट बंद होगा सो अलग लोगों को उनके पैसे भी ब्याज के साथ चुकाने पड़ेंगे। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों का उल्लंघन है। अब जिस तरह से सरकार ने भी सख्त रवैया अपनाया है, उससे भी बिल्डर को संदेश मिला है कि अब लोगों और फ्लैट बायर्स के साथ वादाखिलाफी नहीं चलेगी।

आज की घटना आम आदमी के लिए एक उम्मीद लेकर आई है जो अपने जीवन भर की कमाई एक छत हासिल करने के लिए खर्च कर देता है। इस फैसले के बाद से लोगों में जागरुकता बढ़ेगी। कई हाउसिंग प्रोजेक्ट में बिल्डिंग की क्वालिटी एक अहम हिस्सा होता है। फ्लैट का पजेशन मिलने के बाद भी लोग उसकी क्वालिटी से संतुष्ट नहीं होते हैं। कॉस्ट कटिंग के नाम पर बिल्डर्स निर्माण क्वालिटी से समझौता करते हैं। ऐसे में आम आदमी इसके खिलाफ भी आवाज उठा सकता है। ऐसे में सरकार भी इसकी तरफ ध्यान देगी। साथ ही लोग भी बिना किसी डर या हिचक के सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे। जानकारों का कहना है कि इस सब पर रोक के लिए कानूनी प्रावधानों की कमी नहीं है। इसके बावजूद इनका पालन नहीं होता है।
नोएडा समेत दिल्ली-एनसीआर में बिल्डर करोड़ों फ्लैट का निर्माण कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इक्का-दुक्का प्रोजेक्ट को छोड़ दें तो शायद ही किसी प्रोजेक्ट में पर्यावरण से जुड़े नियमों का पूरी तरह से पालन हो रहा होगा। बात चाहे सुरक्षा मानकों के पालन का हो। ग्रीन बेल्ट एरिया का हो या फिर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के बेसिक कोड की हो। सभी जगहों पर इसकी अवहेलना हो रही है। नोएडा के ट्विन टावर वाले मामले में भी कोर्ट ने कहा था कि टावरों के निर्माण के लिए ग्रीन एरिया का उल्लंघन किया गया था। अब ट्विन टावर के ढहाए जाने के बाद अधिकारी और बिल्डर सांठगांठ कर पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने से पहले सोचेंगे।
इस पूरी कवायद में यदि कोई सबसे अधिक जो प्रभावित हुआ है वो है फ्लैट खरीदने वाले। वो लोग जिन्होंने इस इमारत में फ्लैट बुक किए थे। कोर्ट ने भले ही लोगों का पैसा ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया हो लेकिन क्या ये पैसा अब इतना पर्याप्त होगा कि लोग उससे अपना आशियाना खरीद सकें। इन दोनों टावरों में 711 घर खरीदारों ने फ्लैट बुक कराए थे।

इनमें से 650 से ज्‍यादा खरीदारों के क्‍लेम निपटाए गए हैं। कई लोगों को अब तक क्लेम का रिफंड नहीं मिला है। जिन लोगों को रिफंड की जो रकम मिली भी है, वो आज की तारीख में फ्लैट खरीदने के लिए काफी नहीं है। इसके अलावा फ्लैट खरीदने वालों को फ्लैट स्पेस के साथ ही लोकेशन के साथ समझौता करना हो। यहां घर खरीदने वालों लोगों को कुल मिलाकर धोखा ही मिला। साथ ही इस टावर में फ्लैट बुक कराने वाले लोगों को मोटी चपत लगी है।

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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