देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं : माथुर

देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं : माथुर, अंशुल का कहना है कि इंसान अपने मन मस्तिष्क से नकारात्मक सोच रूपी कूडा करकट निकाल कर बाहर फैंके और सकारात्मक सोच के साथ अच्छे विचारों, श्रेष्ठ संस्कारों को स्थान दीजिये। जोधपुर, राजस्थान से सुनील कुमार माथुर की कलम से…
भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं । एक ढूंढो तो हजार प्रतिभावान मिल जायेगें , चूंकि हर व्यक्ति प्रतिभावान है , हुनरबाज हैं लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में वे दमतोड रही है । कहने को तो हर कोई कहता है कि प्रतिभाओं को पूरा सम्मान मिलना चाहिए लेकिन यह बातें अखबारो की सुर्ख़ियां ही बनकर रह जाती है या फिर लच्छेदार भाषणों तक ही सीमित रह जाती हैं।
यह बात बाल प्रतिभा कुमारी अंशुल माथुर ने एक भेंट में साहित्यकार सुनील कुमार माथुर को एक साक्षात्कार के दौरान कही । उन्होंने कहा कि प्रतिभाओं को जो सम्मान हकीकत में मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है जिससे दिल को ठेस पंहुचती है।
पेंटिंग, रंगोली, मांडने, फोटोग्राफी में शौक रखने वाली हंसमुख स्वभाव वाली कु. अंशुल माथुर का कहना है कि इंसान में प्रतिभा कूट कूट कर भरी हुई हैं लेकिन परिवार , समाज व राष्ट्र की ओर से हुनरबाजों व नाना प्रकार की प्रतिभाओं को आज सम्मान और प्रोत्साहन नहीं मिल रहा हैं जिसके अभाव में प्रतिभा कुंठित जीवन व्यतीत कर रही है । इससे पहले अंशुल ने गणेशजी , लक्ष्मीजी के सुंदर सुंदर चित्र बनाकर समाज मे एक नई पहचान बनाई है।
अंशुल का कहना है कि इंसान अपने मन मस्तिष्क से नकारात्मक सोच रूपी कूडा करकट निकाल कर बाहर फैंके और सकारात्मक सोच के साथ अच्छे विचारों , श्रेष्ठ संस्कारों को स्थान दीजिये । चूंकि सकारात्मक सोचे वाला व्यक्ति ही सही मायने में धनवान हैं । धन रूपी संपत्ति चलायमान हैं । आज है तो कल नहीं । लेकिन हुनर रूपी कमाई आजीवन हमारे साथ रहती हैं । हुनर बाजार में बिकने वाली चीज नहीं है अपितु इसे तो तरासा जाता हैं । यही वजह है कि प्रतिभा शाली लोग पुरस्कारों के पीछे नहीं भागते है अपितु पुरस्कार उनके पीछे दौडते हैं।
उनका कहना है कि विधार्थियों को शिक्षा के साथ साथ अपने हुनर को भी निखारते रहना चाहिए ताकि जरूरत पडने पर उसे रोजगार का जरिया भी बनाया जा सकें । उनका कहना है कि शौक रचनात्मक होने चाहिए ताकि आत्मीयता का भाव जागृत हो और एक नई सोच , नई ऊर्जा , प्रेरणा व मार्गदर्शन मिले।
अंशुल का कहना है कि कभी भी इंसान को खाली नहीं बैठे रहना चाहिए अपितु हर समय कुछ नया करते रहना चाहिए । वे कहती हैं कि हर प्रतिभावान विधार्थी संयमी , धैर्यवान , सहनशील व निष्ठावान होता हैं । तभी तो वह ज्ञान के अथाह भंडार में गोते लगाकर भी सुरक्षित अपनी कला को निखारता रहता हैं।
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