कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की समस्या और कांग्रेस की जिम्मेदारी
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की समस्या और कांग्रेस की जिम्मेदारी… राजनीति का तकाजा माना जाता है और इतिहासकार इस चिंतन को देश के विभाजन का भी मूल मुद्दा मानते हैं। कश्मीर पाकिस्तान की सीमा से सटा देश का मुस्लिम बहुल… ✍️ राजीव कुमार झा
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की समस्या को संसद में उठाने की बात कही है और इसके साथ ही कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ एक नये संघर्ष की शुरुआत के आसार बढ़ते जा रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की समस्या के मूल में आतंकवाद रहा है और इसमें वहां के पंडितों को खासकर निशाना बनाया गया है।
अपनी आत्मकथा में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने पूर्वजों को कश्मीरी पंडित बताया है और यहां इन लोगों को कश्मीर के सबसे पुराने निवासियों में देखा जाता है। कश्मीर में पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद इस्लाम की कट्टरपंथी राजनीति का तकाजा माना जाता है और इतिहासकार इस चिंतन को देश के विभाजन का भी मूल मुद्दा मानते हैं।
कश्मीर पाकिस्तान की सीमा से सटा देश का मुस्लिम बहुल प्रांत है और ब्रिटिश शासन के अंतिम दिनों में देश की आजादी से पहले भारत और पाकिस्तान के रूप में जो दो स्वतंत्र डोमिनियन बनाए गए उसमें यह शुरू से भारत के हिस्से में रहा। कश्मीर में मुसलमान मध्य काल में आये और उनके आगमन से कश्मीरी पंडितों को कोई खास परेशानी नहीं हुई। यहां मुगल बादशाहों का भी शासन रहा।
आजादी के बाद कश्मीर में पाकिस्तान सदैव अलगाववाद के कुचक्र का खेल रचता रहा और इसके काफी बड़े हिस्से पर उसका आधिपत्य भी कायम है। कुछ साल पहले भारत के चीफ आफ आर्मी स्टाफ ने इसे भारत की सीमा में शामिल करने को लेकर सैन्य कार्रवाई की शुरुआत की बात कही थी लेकिन वर्तमान में कश्मीर में भारत पाकिस्तान सीमा पर संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति प्रस्ताव के तहत युद्ध विराम लागू है।
कश्मीर में आतंकवादियों ने पिछले कुछ सालों के दौरान यहां के पंडितों को काफी गंदे ढंग से अपमानित और आतंकित करके उन्हें घाटी को छोड़ने के लिए विवश किया है। इस प्रकार भारतीय क्षेत्र में अपने देश के ही लोग यहां बेगाने होते जा रहे हैं।
कश्मीर में शांति सुव्यवस्था को कायम करना देश की वर्तमान सरकार की जिम्मेदारी है और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस तरफ भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सबका ध्यान आकृष्ट किया है। आशा है संसद के आगामी सत्र में यह प्रमुख मुद्दा रहेगा और कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की समस्या को लेकर राष्ट्रीय सहमति कायम होगी।
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