प्रेम व स्नेह का प्रतीक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’
सुनील कुमार माथुर
सब टी वी पर सोमवार से शनिवार तक रात्रि साढे आठ बजे से नौ बजे तक दिखाये जाने वाला धारावाहिक सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा प्रेम व स्नेह का प्रतीक है । यही वजह है कि वह आज इतना लोकप्रिय हो गया है कि दर्शक उसे बार – बार देखते हैं ।
२८ जुलाई २००८ को तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल आरंभ हुआ था जिसने २८ जुलाई २०२२ को अपने जीवन के चौदह वर्ष पूरे कर लिए और इसी के साथ अपनी पुरानी यादें ताजा कर ली । तारक मेहता का उल्टा चश्मा एक पारिवारिक सीरियल है जिसे परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर देखते हैं चूंकि गोकुलधाम में विभिन्न जाति , भाषा , धर्म व समुदाय के लोग रहते है फिर भी उनमें एकता , सामंजस्य , प्रेम – स्नेह व वात्सल्य का भाव देखने को मिलता हैं ।
उनके बीच कहा सुनी में भी प्रेम का भाव दिखाई देता हैं यही वजह है कि वे तत्काल पुनः एक हो जाते हैं चूंकि उनमें सेवा व समर्पण का भाव दिखाई देता है । टप्पू सेना , तारक – अंजली , दया भाभी – जेठालाल , दादाजी ( बापूजी ) , सोढी – रोशन , पोपटलाल , भिडे – माधवी , हाथी भाई – कोमल व अब्दुल इन सभी की भूमिका वंदनीय और सराहनीय है । अनेक कलाकार बदल गये लेकिन धारावाहिक में कहीं कोई कमी नजर नहीं आ रही है चूंकि नये कलाकारो ने भी अच्छी भूमिका निभा रहे है ।
गोकुलधाम के निवासियों की एकता , संयम , सहनशीलता , आपसी प्रेम व भाईचारा ही इस धारावाहिक की प्राण वायु है । तभी तो वे हर समस्या का समाधान आसानी से निकाल लेते है । कहते है कि अचार में मसालें व उसके तेल को खाने का आनंद ही कुछ ओर है ठीक उसी तरह गोकुलधाम सोसायटी के लोग आपस में नोक झोंक करते है तो उसमे भी आनंद की अनुभूति होती है ।
यही वजह है कि गोकुलधाम में अनेक फिल्मी कलाकारों ने आकर इसकी रौनक में चार चांद लगा दिये । चूंकि यह धारावाहिक हास्य से भरपूर है । तीज -:त्यौहार पर खूब हंसाते हैं । कुल मिलाकर तारक मेहता का उल्टा चश्मा प्रेम व स्नेह का प्रतीक है जो हमें आपसी भाईचारे की भावना के साथ रहने की सीख देता है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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