कार्टूनों का बाल विकास में महत्वपूर्ण स्थान : घोसी

सुनील कुमार माथुर

कार्टूनिस्ट समाज का सजग प्रहरी है । वह अपने कार्टून के जरिये समाज को एक न ई दशा व दिशा देता है । उनके कार्टून न केवल व्यंग्यबान की तरह होते है वरन् समाज के सत्य को उजागर कर समाज को उसका असली दर्पण दिखाता है । वह अपने कार्टून के जरिए हमें अच्छे – बुरे का ज्ञान कराता है और राष्ट्र की मुख्यधारा से भटके लोगों को पुनः राष्ट्र की मुख्यधारा से जोडने का रचनात्मक कार्य करता हैं।

राजस्थान के मेडतासिटी निवासी कार्टूनिस्ट चांद मोहम्मद घोसी एक ऐसे कार्टूनिस्ट है जिनके ध्दारा बनाये गये कार्टून देश भर की बाल पत्रिकाओ में प्रकाशित होते है और शायद ही कोई बाल पत्रिका ऐसी होगी जिसमें उनके कार्टून प्रकाशित न हुए हो ।उन्होंने अपने कार्टून के जरिए बाल विकास में उत्कृट योगदान दे रहे है । इससे बच्चों का सामाजिक व मानसिक विकास भी होता हैं।

घोसी ने साहित्यकार सुनील कुमार माथुर को एक साक्षात्कार में बताया कि बच्चों में कार्टून कला के प्रति गहरा रूझान है व सरकार को चाहिए कि वह इस कला को प्रोत्साहन दे व बच्चों को स्कूली स्तर से ही यह कला सिखाई जानी चाहिए ताकि उनका सामाजिक व मानसिक विकास हो सके।

माथुर : कार्टून कला क्या ड्राइंग व पेंटिग से भी कठिन है ?

घोसी : नहीं ऐसी बात नहीं है । निरन्तर प्रयास करने से कोई भी कार्य कठिन नहीं है ।बस कार्य के प्रति लग्न व निष्ठा होनी चाहिए ।

माथुर : क्या कार्टूनिस्ट की सोच सदैव नकारात्मक होती है ?

घोसी : नहीं , एक अच्छे कार्टूनिस्ट की सोच सदैव सकारात्मक होती है । यह कार्टून देखने वाले के नजरिये पर निर्भर करता है कि वह उसे किस नजर से देख रहा हैं।

माथुर : क्या आज भी इस मोबाइल युग में बच्चों की कार्टून के प्रति गहरी रुचि है ?

घोसी : हां हां सही हैं । बच्चे आज भी मोबाइल व टी वी पर कार्टून धारावाहिक व कार्टून फिल्में बडे शौक से देखते है।

माथुर : क्या कार्टूनिस्ट दिन भर चिन्तन मनन करता है ?

घोसी : कार्टूनिस्ट भी पत्रकारों की तरह समाज का एक जागरूक नागरिक व सजग प्रहरी है । उसके मन मस्तिष्क में भी विचारों का मंथन चलता रहता है तभी तो उसके बनाये गये कार्टून समाज को एक नई सोच , प्रेरणा और मार्गदर्शन देते है ।

माथुर : क्या कार्टूनिस्ट भी किसी राजनीतिक संगठन की विचारधारा से जुडे होते है ?

घोसी : भले ही कार्टूनिस्ट किसी भी राजनैतिक विचारधारा से क्यों न जुडा हो लेकिन जब वह कार्टून बनाता है तब वह दलगत राजनीति को छोडकर राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानकर कार्टून बनाता है चूंकि वह राष्ट्र का हितैषी है व समाज व राष्ट्र का सच्चा सेवक भी हैं।

वह किसी की कठपुतली नहीं है । यहीं वजह है कि वे स्वतंत्र रुप से व्यंग्यात्मक , कटाश करते हुए सच्चाई को सभी के सामने निष्पक्ष होकर आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करता है ।

माथुर : कार्टून कला को बढावा देने के लिए सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर क्या किया जाना चाहिए ?

घोसी : सरकार इस कला को प्रोत्साहन देने के लिए हर स्टेट की राजधानी में कार्टूनिस्ट कला केन्द्र की स्थापना करनी चाहिए व योग्य ख्याति प्राप्त कार्टूनिस्टों के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए ।

गैर सरकारी स्तर पर भामाशाह लोग समय समय पर अपने गांव व शहर में अपने स्तर पर ऐसी कार्यशालाएं आयोजित करें व बच्चों को अपने खर्चे पर निशुल्क आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराये व चाय नाश्ते की व्यवस्था करें ।

माथुर : शिक्षण संस्थान इस कला से दूर क्यों है ?

घोसी : चूंकि अभी सरकार ने इस ओर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया है ।

माथुर : बच्चों को स्वच्छ मनोरंजन के लिए कोई संदेश देना चाहेगे ?

घोसी : बच्चे स्वंय भी चित्र पहेलियां बनायें , रंग भरों चित्रों में सुंदर रंग भरे , अंक मिलाओ चित्र को पूरा करके पहचाने और अपनी कल्पना के अनुसार सुंदर रंग भर कर अपना स्वस्थ व स्वच्छ मनोरंजन करे । देश का हर नागरिक स्वस्थ रहें स्वच्छ रहे और हंसता मुस्कुराता रहे।

इसी के साथ मेरा अभिभावकों से अनुरोध है कि वे अपने बच्चों को अपनी प्रतिभा को निखारने का पूरा अवसर दे ताकि वे अपनी प्रतिभा को निखार कर एक नये भारत का नव निर्माण कर सकें और अपनी रचनात्मक कार्य शैली से राष्ट्र को अवगत करा सके ।आखिरकार समाज का सपना साकार करने की महती जिम्मेदारी बच्चों के कंधों पर ही हैं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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